अजय जंडयाल की रिपोर्ट, Jammu-Kashmir: किश्तवाड़ ज़िले के चिसोटी गाँव में 14 अगस्त को बादल फटने से हुई भीषण तबाही में मृतकों की संख्या बढ़कर 64 हो गई है। मंगलवार सुबह एक महिला का शव बरामद होने के बाद यह आंकड़ा और बढ़ गया। अधिकारियों ने बताया कि शव गाँव से नीचे की ओर मिला, जबकि मलबा हटाते समय एक और शव का हिस्सा स्निफर डॉग की मदद से ढूँढा गया। आशंका है कि यह उसी व्यक्ति का हिस्सा है जिसका शव घटना के पहले दिन बरामद हुआ था। इस आपदा ने गाँव में भारी तबाही मचाई। बादल फटने से आई अचानक बाढ़ ने लंगर (सामुदायिक रसोई) और अस्थायी बाज़ार को बहा दिया, 16 मकान, तीन मंदिर, चार पानी की चक्कियाँ, सरकारी इमारतें, 30 मीटर लंबा पुल और दर्जन भर वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
घटना प्रभाव क्षेत्र
मृतकों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के तीन जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) भी शामिल है। अब तक 167 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जबकि लापता लोगों की संख्या घटकर 39 रह गई है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के डिप्टी एसपी मसूफ़ अहमद मिर्ज़ा ने बताया कि राहत-बचाव कार्य तेज़ी से चल रहा है। “घटना का प्रभाव क्षेत्र बहुत बड़ा है। ऊपर का हिस्सा काफी हद तक साफ़ कर लिया गया है और अब टीमों को नीचे की ओर भेजा जा रहा है|
उन्होंने क्या कहा?
सेना की व्हाइट नाइट कोर ने बताया कि पाँच राहत कॉलम, अतिरिक्त मेडिकल टीमें और ऑल-टेरेन वाहन लगाए गए हैं। सेना के इंजीनियरों ने चिसोटी नाले पर बैली ब्रिज बनाकर गाँव और मचैल माता मंदिर तक का संपर्क बहाल कर दिया है। बचावकर्मियों ने रास्ते में बाधक बड़े पत्थरों को हटाने के लिए पिछले तीन दिनों में कई नियंत्रित विस्फोट भी किए हैं। मचैल माता यात्रा, जो 25 जुलाई से शुरू हुई थी और 5 सितंबर तक चलनी थी, छठे दिन भी स्थगित रही। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि जम्मू से रवाना होने वाली पवित्र ‘छड़ी’ यात्रा को अनुमति दी जाएगी और यह 21 या 22 अगस्त तक मंदिर पहुँच सकती है। करीब 9,500 फुट ऊँचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर की 8.5 किमी पैदल यात्रा चिसोटी से शुरू होती है, जो किश्तवाड़ ज़िला मुख्यालय से लगभग 90 किमी दूर है। एनडीआरएफ की डॉग स्क्वॉड, भारी मशीनें और स्थानीय स्वयंसेवक भी लगातार राहत-बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।

