ओड़िशा से अक्षय महाराणा की रिपोर्ट
Indian defence: भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को और धार देते हुए बुधवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता के दूरी 5,500 से 8,000 किलोमीटर तक मानी जाती है। इस उपलब्धि ने एक बार फिर भारत की तकनीकी दक्षता और रणनीतिक प्रतिबद्धता को दुनिया के सामने स्थापित किया है।
मिसाइल ने सभी तकनीकी और संचालन संबंधी मानकों को पूरा किया
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सभी तकनीकी और संचालन संबंधी मानकों को पूरा किया। मंत्रालय के अनुसार, यह सफलता भारत की “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक” नीति को मजबूत करती है, जिसका मकसद किसी भी बाहरी खतरे के सामने संतुलन और सुरक्षा बनाए रखना है।
कहानी के लिए ड्रामा कर रही हैं CM रेखा गुप्ता? हमले के बाद भाजपा बनाम आप में सियासी घमासान! इटालिया ने तस्वीर को लेकर कह…
DRDO ने विकसित किया है मिसाइल
अग्नि-5 मिसाइल की सबसे खास बात इसकी रफ्तार है। यह मैक 24 यानी लगभग 29,400 किलोमीटर प्रति घंटे की अंतिम गति तक पहुंच सकती है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। मिसाइल में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, जिससे यह एक साथ कई वारहेड ले जाकर अलग-अलग लक्ष्यों को भेद सकती है।
सटीकता सुनिश्चित करने के लिए इसमें रिंग लेज़र जाइरोस्कोप आधारित इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (RLG-INS) और माइक्रो इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (MINGS) लगाया गया है। इसके साथ ही भारत के NavIC और अमेरिका के GPS जैसे उपग्रह नेविगेशन सिस्टम भी इसकी मदद करते हैं।
Voter Adhikar Yatra: ‘फ्यूज बल्ब हैं, जो…’, CM नीतीश के मंत्री का Rahul Gandhi पर सबसे बड़ा हमला, जो कहा सुन कांग्रेसियों का खून खौल…
अग्नि-5 को मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल की श्रेणी में रखा गया है
अग्नि-5 को मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) की श्रेणी में रखा गया है और इसे भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता की रीढ़ माना जाता है। इसकी रेंज इतनी व्यापक है कि यूरोप, एशिया, मध्य-पूर्व और अफ्रीका का बड़ा हिस्सा इसके दायरे में आता है। यह भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में खड़ा करता है, जिनके पास लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
परीक्षण भारत की बढ़ती सामरिक ताकत का संकेत है
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस परीक्षण को भारत की बढ़ती सामरिक ताकत का संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के सफल प्रयोग न केवल सुरक्षा कवच को मजबूत करते हैं, बल्कि संभावित विरोधियों को यह संदेश भी देते हैं कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए पूरी तरह सक्षम है।

