Agni-V missile Test: भारत ने बुधवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से अपनी मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह प्रक्षेपण सभी परिचालन और तकनीकी मानकों पर खरा उतरा और सामरिक बल कमान की निगरानी में किया गया।
पृथ्वी-II और अग्नि-I का भी यहीं पर हुआ सफल परीक्षण
यह नवीनतम परीक्षण भारत द्वारा कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों पृथ्वी-II और अग्नि-I के सफल परीक्षणों के कुछ हफ़्ते बाद हुआ है। 18 जुलाई को, दोनों प्रणालियों को ओडिशा के एक ही परीक्षण रेंज से प्रक्षेपित किया गया था। रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में पुष्टि की थी कि सामरिक बल कमान के तत्वावधान में किए गए इन प्रक्षेपणों ने सभी आवश्यक परिचालन और तकनीकी मानकों को पूरा किया।
लद्दाख में आकाश प्राइम की सफलता
इससे ठीक दो दिन पहले, 16 जुलाई को, भारतीय सेना ने आकाश हथियार प्रणाली के उन्नत संस्करण, आकाश प्राइम का उपयोग करके ऊँचाई पर स्थित दो उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्यों को निष्क्रिय करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। 4,500 मीटर से अधिक ऊँचाई पर कार्य करने के लिए डिज़ाइन की गई इस प्रणाली में कई सुधार शामिल हैं, जिनमें एक स्वदेश निर्मित रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर भी शामिल है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये उन्नयन क्षेत्रीय अभियानों से प्राप्त फीडबैक पर आधारित हैं, जिनका उद्देश्य उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में प्रदर्शन और प्रभावशीलता को बढ़ाना है। इस प्रणाली को सेना वायु रक्षा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जैसी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और अन्य उद्योग भागीदारों के बीच सहयोग से विकसित किया गया है।
🚀🇮🇳 India’s Strategic Forces Command successfully test-fired the Agni-V ICBM from its eastern coast into the Bay of Bengal.
❗The missile can carry nuclear warheads over distances exceeding 5,000 km. pic.twitter.com/aJpMZB2pvB
— Molo44 🇮🇹🇺🇦 (@MoloWarMonitor) August 20, 2025
भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता में हुआ इजाफा
यह परीक्षण “प्रथम उत्पादन मॉडल” परीक्षण का हिस्सा था और इससे इस प्रणाली को समय पर सेवा में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत की वायु रक्षा प्रणाली और मज़बूत होगी।
यह उपलब्धि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों की उल्लेखनीय सफलता के बाद आई है, जो देश की मिसाइल विकास पहलों में एक और छलांग है, जो अब वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रही है। यह परीक्षण भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को और मज़बूत करता है। इस प्रक्षेपण ने साबित कर दिया है कि मिसाइल परिचालन तैनाती के लिए पूरी तरह तैयार है।