Gujarat Earthquake News: गुजरात के कच्छ जिले में गुरुवार देर रात लगातार दो भूकंप के झटके महसूस किए गए। जिससे लोगों में हड़कंप मच गया। हालांकि, राहत की बात यह है कि, इन झटकों से किसी तरह के जान-माल के नुकसान या बड़े पैमाने पर नुकसान की कोई खबर नहीं है। भूकंपीय अनुसंधान संस्थान (ISR) के अनुसार, पहला झटका रात 10:12 बजे आया, रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.4 मापी गई। बताया जा रहा है कि, इस भूकंप का केंद्र भुज से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में भचाऊ के पास स्थित था। इस भूकंप के झटके के महज 7 मिनट बाद ही दूसरा भूकंप रात 10:19 बजे आया। जिसकी तीव्रता 2.7 थी और अगर इस भूकंप के केंद्र की बात करें तो इसका केंद्र रापर से 19 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में दर्ज किया गया। भूकंप के इन 2 झटकों पर राज्य आपदा प्रबंधन विभाग का बयान सामने आया है। जिसके बताया गया है कि, इन झटकों से न तो किसी की जान गई और न ही किसी ढांचे को कोई नुकसान पहुंचा।
भूकंप के नजरिए से बेहद संवेदनशील है कच्छ
हालांकि, कच्छ क्षेत्र में भूकंप आना कोई नई बात नहीं है। यह इलाका पश्चिम भारत के सबसे भूकंप-संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है। भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण, लाखों साल पहले यहां बने प्राचीन रिफ्ट फॉल्ट बार-बार सक्रिय हो जाते हैं। यही कारण है कि कच्छ में लगातार भूकंप आते रहे हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, कच्छ की भूगर्भीय संरचना एक जटिल रिफ्ट बेसिन प्रणाली पर आधारित है। यहां की प्रमुख फॉल्ट लाइनों में कच्छ मेनलैंड फॉल्ट (KMF) और कटरोल हिल फॉल्ट (KHF) शामिल हैं। यह क्षेत्र उत्तर में नागरपारकर फॉल्ट, पूर्व में राधनपुर-बाड़मेर आर्क और दक्षिण में उत्तरी काठियावाड़ फॉल्ट से घिरा है, जबकि पश्चिम की ओर यह बेसिन अरब सागर की ओर खुला है।
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों के अनुसार, प्राकृतिक कारणों के अलावा, मानवीय गतिविधियां भी भूकंपों को बढ़ावा देती हैं। भूमि उपयोग में बदलाव, भूजल का अंधाधुंध दोहन और भारी वर्षा के कारण सतह पर बढ़ते भार के कारण पहले से मौजूद भ्रंशों पर दबाव पड़ता है, जिससे हल्के भूकंप आते हैं। हालांकि इस बार आए दोनों झटके हल्के थे और नुकसानदेह साबित नहीं हुए, फिर भी वैज्ञानिक निरंतर निगरानी, आपदा प्रबंधन और भूकंपरोधी बुनियादी ढांचे पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि भूकंप को पूरी तरह टालना तो संभव नहीं है, लेकिन बेहतर तैयारी से इसके खतरे को कम जरूरत किया जा सकता है।