CDS Anil Chauhan: चंडीगढ़ में आयोजित 9वें सैन्य साहित्य महोत्सव 2025 में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भारत की सामरिक और भू-राजनीतिक ताकत पर जोर देते हुए कहा कि भारत न केवल एक महाद्वीपीय बल्कि एक समुद्री शक्ति के रूप में भी उभर रहा है. उन्होंने कहा कि आज सत्ता के लिए वैश्विक संघर्ष जमीन और आसमान से आगे बढ़कर अंतरिक्ष, साइबरस्पेस और संज्ञानात्मक क्षेत्र तक फैल गया है.
हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ी भारत की ताकत
महोत्सव का विषय ‘बहु-क्षेत्रीय युद्ध में हृदयस्थल और तटीय क्षेत्र की शक्तियां और भारत’ था . इस पर बोलते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में “प्रथम प्रतिक्रियादाता” और “पसंदीदा साझेदार” के रूप में स्थापित हो चुका है. उन्होंने ब्रिटिश लेखक टिम मार्शल की प्रसिद्ध पुस्तक ‘प्रिजनर्स ऑफ जियोग्राफी’ का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र की भौगोलिक स्थिति उसकी रणनीतिक क्षमता और वैश्विक प्रभाव को तय करती है.
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‘महाद्वीपीय और समुद्री दोनों शक्ति है भारत’
सीडीएस ने कहा कि 20वीं सदी की प्रमुख भू-राजनीतिक घटनाएं — भारत का विभाजन, पाकिस्तान का निर्माण और चीन के साथ युद्ध — ने भारत को लंबे समय तक महाद्वीपीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए मजबूर किया. लेकिन भारत का भूगोल यह स्पष्ट करता है कि वह एक साथ “महाद्वीपीय और समुद्री दोनों शक्ति” है.
CDS ने इन दो देशों का दिया उदाहरण
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक प्रभुत्व की प्रतिस्पर्धा हमेशा से भूगोल से जुड़ी रही है. पहले यह समुद्रों और महाद्वीपों तक सीमित थी, अब यह अंतरिक्ष, साइबर और विचारों के क्षेत्र तक फैल चुकी है. उन्होंने जिबूती और सिंगापुर के उदाहरण देते हुए समझाया कि किस तरह छोटे-से देशों का सामरिक महत्व उनके भौगोलिक स्थान के कारण बढ़ जाता है. जिबूती बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य पर और सिंगापुर मलक्का जलडमरूमध्य के पास स्थित है — दोनों वैश्विक व्यापार के अहम केंद्र हैं.
जनरल चौहान ने इंडोनेशिया के जलडमरूमध्यों — मलक्का, सुंडा, लोम्बोक और ओम्बाई-वेटर — को हिंद और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग बताते हुए कहा कि भारत का सामरिक प्रभाव आने वाले वर्षों में और मजबूत होगा.