Dowry Cases Data of India: दहेज़ वो शब्द है जिसकी वजह से आज हजारों बेटियों की बलि दे दी जाती है। बेटियों को शादी के बाद ही या तो जहर दे दिया जाता है या उन्हें जिन्दा जला दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला ग्रेटर नोएडा से सामने आया था। जहाँ दहेज़ के कारण निक्की नाम की लड़की को जिन्दा जला दिया जाता है। सिर्फ ग्रेटर नोएडा से ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से ऐसी ही वारदातें सामने आती हैं। वहीँ आज हम आपको बताएंगे कि सालभर में देश में बहुओं की जान ले ली जाती है।
तिल-तिल मर रहीं लड़कियां
आप ये बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि पाँच साल में 35 हजार से भी ज्यादा महिलाओं की हत्या सिर्फ दहेज के कारण कर दी जाती है। वहीँ ग्रेटर नोएडा की निक्की भाटी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। सिर्फ निक्की ही नहीं बल्कि जोधपुर की संजू बिश्नोई, भी इसी का शिकार बनी। वहीँ ये अकेली दो महिलाएं नहीं हैं जो दहेज़ की बलि चढ़ गईं। ऐसे दिन में लगभग 20 महिलाओं को दहेज़ के कारण मौत के मुँह में धकेल दिया जाता है। इनमें से कई घटनाओं में तो शादी के कई साल बाद भी बहू को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना सहनी पड़ती है।
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जानिए क्या कहते हैं शोधकर्ता
शोधकर्ताओं की माने तो इन्होने 74 हज़ार से ज़्यादा शादियों का अध्ययन किया और बताया कि 90 प्रतिशत शादियों में दहेज़ का मामला शामिल था। 1950 से 1999 के बीच दिए गए दहेज़ की कुल राशि 250 अरब डॉलर यानी 21 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गई। इस पर वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि अदालतें अक्सर इस तर्क से प्रभावित होती हैं कि शादी में दिया गया दहेज़ एक ‘तोहफा’ है।
क्यों नहीं मिल पाता न्याय ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए का दुरुपयोग करने वाली महिलाओं के दुर्लभ मामलों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखने से असली पीड़ितों का मामला झूठा लगता है। हमारी अदालतों में मानसिक और भावनात्मक यातना की पहचान करना अभी भी मुश्किल है, क्योंकि सिर्फ़ चोट के निशान ही सबूत माने जाते हैं। ऐसे में कई बार पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता और वो ये दर्द सहते सहते मर जाती हैं।

