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ED ने Al-Falah के फाउंडर को किस मामले में किया गिरफ्तार? यहां जानें क्या है पूरा मामला

Al-Falah Founder Arrest: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया है.

By: Sohail Rahman | Last Updated: November 18, 2025 10:34:14 PM IST



Al-Falah Founder Arrest: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया है. सिद्दीकी को आज यानी (18 नवंबर, 2025) को गिरफ्तार किया गया. यह गिरफ्तारी अल फलाह समूह से संबंधित परिसरों पर की गई छापेमारी और जांच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्यों के बाद हुई है. आज सुबह, उनके आवास पर छापा मारा गया और अधिकारियों ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी.

किस बात की जांच कर रहा ईडी?

ईडी इस बात की जांच कर रहा है कि क्या इस धन शोधन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों और लाल किले पर बम विस्फोट करने वाले आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के लिए किया गया था. जवाद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी वित्तीय अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद हुई है. जांच में करोड़ों रुपये की आपराधिक आय का पता चला, जिसे ट्रस्ट द्वारा पारिवारिक संस्थाओं में स्थानांतरित कर दिया गया था. ईडी ने 48 लाख रुपये से अधिक नकद और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए.

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FIR में क्या-क्या है?

ईडी ने अल-फलाह समूह के खिलाफ दिल्ली पुलिस अपराध शाखा द्वारा दर्ज दो प्राथमिकियों के आधार पर जांच शुरू की. इन एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय ने अनुचित लाभ कमाने के इरादे से छात्रों, अभिभावकों और हितधारकों को धोखा देने के लिए NAAC मान्यता के बारे में झूठे और भ्रामक दावे किए.एफआईआर में आगे कहा गया है कि अल-फलाह विश्वविद्यालय ने छात्रों और आम जनता को धोखा देने के इरादे से यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 12(बी) के तहत यूजीसी मान्यता का झूठा दावा किया.

यूजीसी ने कहा कि विश्वविद्यालय को केवल धारा 2(F) के तहत एक राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में निगमित किया गया था, उसने कभी धारा 12(B) के तहत निगमन के लिए आवेदन नहीं किया था, और वह उस प्रावधान के तहत अनुदान के लिए पात्र नहीं था.

कब हुआ था अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन?

अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन 08.09.1995 को एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट डीड द्वारा किया गया था, जिसमें जवाद अहमद सिद्दीकी को पहले ट्रस्टियों में से एक और प्रबंध ट्रस्टी के रूप में नामित किया गया था.

ईडी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि बड़ी मात्रा में ‘अपराध की आय’ (Proceeds of Crime) उत्पन्न हुई है. सबूत से इस बात का भी पता चल रहा है कि ट्रस्ट ने करोड़ों रुपये पारिवारिक संस्थाओं को हस्तांतरित कर दिए. उदाहरण के लिए ट्रस्ट/जवाद अहमद ने निर्माण और खानपान के ठेके अपनी पत्नी और बच्चों के स्वामित्व वाली संस्थाओं को दिए. 1990 के दशक से पूरे समूह ने जबरदस्त वृद्धि देखी है, लेकिन इसे पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं मिली है.

कोर्ट में किया गया पेश

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के दाउंडर जवाब अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी के मामले में बड़ा अपडेट सामने आ रहा है जिसमें कहा गया है कि सिद्दीकी को मेडिकल जांच के बाद साकेत कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मृदुल गुप्ता के समक्ष पेश किया जा रहा है. जिसमें पुलिस हिरासत की मांग की गई है. 

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