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Delhi Blast से लेकर Faridabad तक फैला खौफ का जाल, कैसे Al-Falah University बन गया आतंकी गतिविधियों का केंद्र!

Al Falah University: दिल्ली धमाके की परत जैसे-जैसे खुलती जा रही है, वैसे-वैसे चौंकने वाले खुलासे सामने आते जा रहे है, ऐसे में अब नाम आया है फरीदाबाद के Al-Falah University का.

By: Shristi S | Last Updated: November 12, 2025 2:09:43 PM IST



Al Falah University Terror Link: दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए धमाके ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है. लेकिन अब धीरे- धीरे इस दहशत भरे विस्फोट की परते खुल रही है. जांच का रुख अब हरियाणा के फरीदाबाद के एक निजी university अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) की ओर मुड़ चुका है. यह यूनिवर्सिटी शिक्षा के मंदिर की बजाय अब आतंकवादी गतिविधियों के अड्डे के रुप में बदलने के आरोप में घिर चुका है. दरअसल पुलिस और खुफिया पुलिस की जांच में जो तथ्य सामने आया है, कि यह यूनिवर्सिटी भी उस आतंकवादी धमाके का हिस्सा है. 

 

धमाके से शुरू हुई तहकीकात

जब जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली धमाके की जांच शुरू की तो सबूतो की कड़ी हरियाणा के फरीदाबाद तक जा पहुंची. फरीदाबाद के Al-Falah University के आसपास काफी संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली, जिसके बाद पुलिल ने जब पुलिस ने छापेमारी की तो उन्हें करीब 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, डेटोनेटर, राइफलें और टाइमर उपकरण बरामद हुए.

डॉक्टरों की गिरफ्तारी से हुए बड़े खुलासे

दिल्ली धमाके के  छापेमारी के बाद तीन डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया जिनमें  डॉ. मुज़म्मिल शकील, डॉ. अदील अहमद राथर और डॉ. शाहीन शाहिद शामिल है. ये तीनों Al-Falah University से जुड़े थे और पुलिस के अनुसार ये लोग एक “सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल” का हिस्सा थे. जांच के दौरान ये भी सामने आया कि इन डॉक्टरों ने अपनी शैक्षणिक पहचान और विश्वविद्यालय की लैब्स का इस्तेमाल विस्फोटक पदार्थों के परीक्षण और निर्माण के लिए किया था. खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, इनका संबंध पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार ग़ज़वत-उल-हिंद (AGuH) से था.

कब हुई थी Al-Falah University की स्थापना?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Al-Falah University की स्थापना 2014 में हुई था. यह विश्वविद्यालय 70 Acre में फैला एक निजी संस्थान है, जहां इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट और कानून जैसे विषयों की पढ़ाई होती है. लेकिन अब जांच एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं इस University की फंडिग आतंकी गतिविधियों के लिए तो नहीं की जा रही थी. दरअसल इस विश्वविद्यालय की फंडिंग धर्मार्थ ट्रस्ट करता है, जिससे पुलिस को शक है कि कहीं खाड़ी देशों से मिलने वाले इस दान को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल तो नहीं किया जाता, वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस बारे में चुप्पी साधी हुई है. 
  

 “सफेदपोश आतंक” का नया चेहरा

यह मामला सिर्फ़ एक संस्थान तक सीमित नहीं है; यह एक नए तरह के आतंकवाद की ओर इशारा करता है. जहाँ आतंकवादी पहले हथियारों के साथ जंगलों में छिपे रहते थे, अब वे विश्वविद्यालय की डिग्रियों और लैब कोट के पीछे छिपते हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये आम आतंकवादी नहीं हैं, ये उच्च शिक्षित लोग हैं जो अपने ज्ञान और पद का इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए कर रहे हैं. यह “सफेदपोश आतंकवादी नेटवर्क” शैक्षणिक संस्थानों, शोध परियोजनाओं और धार्मिक ट्रस्टों की आड़ में काम करता है जो पारंपरिक निगरानी तंत्रों से बच निकलता है.

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