Delhi Blast: दिल्ली ब्लास्ट के बाद से लगातार जांच चल रही है.अब एनआईए की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. जिसमे बताया गया है कि यह कोई साधारण विस्फोट नहीं था बल्कि एक (Vehicle-Borne Improvised Explosive Device) वाहन-जनित आईईडी (IED) से किया गया आत्मघाती हमला था. इस हमले का गुनहगार पेशे से डॉक्टर उमर उन नबी था जिसने सबको चौंकाते हुए आतंकवाद का रास्ता चुना. तो चलिए जानते हैं कि vehicle-borne IED आखिर क्या है और यह कितना खतरनाक होता है?
VBIED क्या होता है?
सरल शब्दों में IED का मतलब इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) होता है यानी घर या बाज़ार में मिलने वाली सामग्री से बना बम. vehicle-borne आईईडी (VBIED) एक ऐसा बम होता है जिसे कार, बाइक, ऑटो, स्कूटर, ट्रक या किसी भी अन्य वाहन में लगाया जा सकता है. आतंकवादी इसका इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि इनमें ज़्यादा जगह होती है जिससे वे ज़्यादा विस्फोटक रख सकते हैं. इससे सुरक्षा चौकियों से गुज़रना आसान हो जाता है. विस्फोट का प्रभाव बहुत बड़ा होता है, क्योंकि वाहन के पुर्जे वाहन में ही समा जाते हैं. यह एक ही झटके में दर्जनों लोगों की जान ले सकता है.VBIED का पता लगाना मुश्किल होता है और यह एक बड़ा विस्फोट पैदा कर सकता है जिससे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भारी जनहानि हो सकती है.सुसाइड अटैक में कंट्रोल का कोई तरीका नहीं होता है.
तेजी से आईईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं आतंकवादी संगठन
दुनिया भर में इसी तरह के हमले कई बार हुए हैं. 1993 के मुंबई बम विस्फोटों, 2008 के काबुल भारतीय दूतावास हमले और 1995 के ओक्लाहोमा सिटी बम विस्फोटों (अमेरिका) में इनका इस्तेमाल किया गया था. आतंकवादी संगठन तेजी से आईईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं. कम लागत और उच्च प्रभाव वाले हथियारों के कारण इन्हें पसंद किया जाता है. उग्रवाद प्रभावित इलाकों में, पहले आईईडी को पैदल ही तैनात किया जाता था, लेकिन अब इन्हें वाहनों पर लगाया जा रहा है. एनआईए, एनएसजी, आईबी और अन्य एजेंसियों ने बार-बार चेतावनी दी है कि VBIED भविष्य के हमलों के लिए एक बड़ा खतरा हैं.
लाल किला विस्फोट कैसे हुआ?
एनआईए की जांच के अनुसार लाल किला के पास विस्फोट एक हुंडई i20 कार से हुआ था जिसे खुद उमर उन नबी चला रहा था. जांच से पता चला कि यह एक आत्मघाती हमला था यानी मुख्य आरोपी उमर खुद विस्फोट में मारा गया. एनआईए की जांच से साफ़ पता चलता है कि विस्फोट एक वाहन में लगे आईईडी से हुआ था. कार चला रहा उमर उन नबी आत्मघाती हमलावर था. कार आमिर राशिद अली के नाम पर पंजीकृत थी. विस्फोट से तीन घंटे पहले कार को पार्क किया गया था. संदेह है कि इसे विस्फोट करने के लिए टाइमर या डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया था. एनआईए का दावा है कि यह हमला किसी छोटी-मोटी साज़िश का हिस्सा नहीं था, बल्कि कई लोगों की एक संगठित आतंकवादी योजना थी.
आतंकी ‘डॉक्टर्स’ की नई तकनीक
केंद्रीय जांच एजेंसियों को अब यह भी संदेह है कि आतंकी समूहों ने IED विशेषज्ञों जिन्हें सुरक्षा कि भाषा में टेररिस्ट डॉक्टर्स’ कहा जाता है को बड़े पैमाने पर VBIED तैयार करने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है.यह इशारा करता है कि आतंकी नेटवर्क अपने ऑपरेशन को और उन्नत कर रहा है.बड़े हमलों की योजना बनाई जा रही है.और यह नेटवर्क अत्याधुनिक विस्फोटक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. NIA कई राज्यों में फैले सुरागों के आधार पर लगातार जांच आगे बढ़ा रही है.