Home > देश > कार पर खरोंच का अनोखा बदला, वकील ने पड़ोसी को पीटने की मांगी पुलिस से इजाजत; DGP-SSP को भेजा लेटर

कार पर खरोंच का अनोखा बदला, वकील ने पड़ोसी को पीटने की मांगी पुलिस से इजाजत; DGP-SSP को भेजा लेटर

Chandigarh Latest News: चंडीगढ़ के एक वकील ने अपने पड़ोसी को मारने के लिए पुलिस से सार्वजनिक रूप से औपचारिक अनुमति मांगी है.

By: Shubahm Srivastava | Published: November 8, 2025 10:26:18 PM IST



Chandigarh lawyer Case: चंडीगढ़ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आ रहा है, जहां पर एक वकील द्वारा पुलिस को अनोखा पत्र लिखा गया है जो अब चर्चा का विषय बन गया है. असल में वकील धर्मेंद्र सिंह रावत ने डीजीपी, एसएसपी को एक पांच पन्नों का पत्र लिखकर अपने पड़ोसी को सार्वजनिक रूप से ‘पीटने, मारने या थप्पड़ मारने’ की औपचारिक अनुमति मांगी है. 

पुलिस से की गई इस मांग के पीछे की चीजों पर नजर डालें तो धर्मेंद्र सिंह रावत का कहना है कि ये कदम वो अपनी नई 24 लाख की एसयूवी को पड़ोसी द्वारा की जा रही बार-बार की तोड़फोड़ और खरोंचों से बचाने के लिए उठाना चाहते हैं.

‘जलन के कारण गाड़ी पर खरोंचें मार रहा पड़ोसी’

रावत का आरोप है कि उनके पड़ोसी ने जलन (Jealousy) के चलते उनकी गाड़ी पर कई बार खरोंचें डालीं. उन्होंने इस संबंध में जुलाई माह का सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को सौंपा था, जिसमें कथित तौर पर उनके पड़ोसी को कार पर किसी नुकीली वस्तु से नुकसान पहुंचाते हुए देखा जा सकता है. वकील ने शिकायत दर्ज कराने और फुटेज साझा करने के बावजूद पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न किए जाने पर नाराजगी जताई है.

वकील ने बीएनएस की इस धारा का दिया हवाला

पत्र में रावत ने भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 35(बी) का हवाला दिया है, जो नागरिकों को अपने शरीर और संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार देती है. उन्होंने लिखा कि पुलिस की निष्क्रियता के चलते उन्हें अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए स्वयं कदम उठाने को बाध्य होना पड़ रहा है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई कदम उठाने से पहले वह पुलिस की औपचारिक अनुमति लेंगे और वरिष्ठ अधिकारियों व मीडिया को सूचित करेंगे.

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नहीं लिया गया एक्शन, तो पुलिस पर करेंगे कानूनी कार्यवाही 

वकील ने स्वयं को ‘शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाला नागरिक’ बताया और कहा कि उनका उद्देश्य हिंसा नहीं, बल्कि पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ कानूनी व्यंग्यात्मक विरोध दर्ज कराना है. उन्होंने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले का भी हवाला दिया, जिसमें संज्ञेय अपराधों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य बताया गया है. 

साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न और लापरवाही के लिए कानूनी कार्यवाही करेंगे. यह पत्र अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है.

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