Home > देश > जिस पिल्ले को जान बचाई, उसकी वजह से गई जान…लापरवाही पड़ी भारी, कबड्डी प्लेयर बृजेश सोलंकी की तड़पकर मौत

जिस पिल्ले को जान बचाई, उसकी वजह से गई जान…लापरवाही पड़ी भारी, कबड्डी प्लेयर बृजेश सोलंकी की तड़पकर मौत

बताया जा रहा है कि अंतरराज्यीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुके बृजेश प्रो कबड्डी लीग की तैयारी कर रहे थे। मार्च 2025 के दौरान गांव के नाले में एक पिल्ला डूब रहा था। बृजेश ने उसे बचाने की कोशिश की तो पिल्ले ने उनके दाहिने हाथ की उंगली काट ली। बृजेश ने इसे मामूली चोट समझकर नजरअंदाज कर दिया और एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई।

By: Ashish Rai | Published: July 2, 2025 6:04:52 PM IST



Brijesh Solanki Death: यूपी के बुलंदशहर में एक दुखद घटना घटी। यहां के फराना गांव में 22 वर्षीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की रेबीज के कारण दर्दनाक मौत हो गई। मार्च 2025 में उन्हें एक पिल्ले ने काट लिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि रेबीज कितना खतरनाक है और यह शरीर में कितनी तेजी से फैलता है?

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बृजेश को रेबीज कैसे हुआ?

बताया जा रहा है कि अंतरराज्यीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुके बृजेश प्रो कबड्डी लीग की तैयारी कर रहे थे। मार्च 2025 के दौरान गांव के नाले में एक पिल्ला डूब रहा था। बृजेश ने उसे बचाने की कोशिश की तो पिल्ले ने उनके दाहिने हाथ की उंगली काट ली। बृजेश ने इसे मामूली चोट समझकर नजरअंदाज कर दिया और एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई। दो महीने बाद जून 2025 के दौरान बृजेश के दाहिने हाथ में सुन्नपन और ठंड के लक्षण दिखने लगे। धीरे-धीरे उनका पूरा शरीर सुन्न होने लगा और उन्हें हवा-पानी से डर लगने लगा। जांच के बाद बृजेश को रेबीज होने की पुष्टि हुई और 27 जून को उसकी मौत हो गई। मौत से पहले दर्द से कराहते बृजेश का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

रेबीज कितना खतरनाक है?

रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है जो रेबीज वायरस (लिसावायरस, रैबडोवायरस फैमिली) के कारण होती है। यह न्यूरोट्रॉपिक वायरस इंसानों के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे दिमाग में तीव्र सूजन (एन्सेफेलाइटिस) हो जाती है। इसे हाइड्रोफोबिया या वॉटर फोबिया भी कहते हैं, क्योंकि इसके लक्षणों में पानी से डरना शामिल है। रेबीज मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों, खासकर कुत्तों के काटने से फैलता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल 26 हजार से 59 हजार लोग रेबीज के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से 95 फीसदी से ज्यादा मामले एशिया और अफ्रीका में सामने आते हैं।

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