UP Assembly Election 2027: ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के दम पर सपा ने लोकसभा चुनाव में भाजपा से ऐसी भितरघात की कि वह दिल्ली में अपने दम पर सरकार भी नहीं बना पाई। लेकिन अब भाजपा ने सपा के ‘पीडीए’ का तोड़ निकाल लिया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में पार्टी ‘पीडीए’ फॉर्मूले का जवाब ‘पीडीआर’ फॉर्मूले से देगी।
सपा ‘पीडीए’ बनाम बीजेपी का ‘पीडीआर’
कुछ रिपोर्टों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी, सपा के पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक फॉर्मूले का जवाब पिछड़ा, दलित और राष्ट्रवाद यानी पीडीआर की रणनीति से देगी। इस फॉर्मूले के तहत, जहाँ भाजपा संगठनों में पिछड़े और दलित वर्ग के नेताओं को महत्व दिया जा रहा है, वहीं उनमें राष्ट्रवाद की भावना जगाकर लोगों को लामबंद करने की भी कोशिश की जा रही है।
इसी कड़ी में, इस स्वतंत्रता दिवस पर सभी स्कूलों और मतदान केंद्रों पर तिरंगा झंडा फहराने का अभियान चलाया गया। सभी बड़े शहरों में तिरंगा यात्रा निकाली गई और ‘हर घर में तिरंगा’ अभियान का भी प्रचार किया गया।
जानकारों की मानें तो बीजेपी न सिर्फ़ पिछड़ों दलितों के साथ अपने राष्ट्रवाद को धार दे रही है, बल्कि सपा के पीडीए को परिवार विकास प्राधिकरण बताकर उस पर निशाना भी साध रही है, ताकि जनता में ये संदेश जाए कि पीडीए के नाम पर सपा में एक जाति और एक परिवार को बढ़ावा दिया जा रहा है.
बीजेपी के हाथ लगा पूजा पाल का मुद्दा
यूपी में इस वक्त पूजा पाल को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। विधानसभा सत्र के दौरान चायल सीट से विधायक पूजा पाल ने जमकर सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी, इसके बाद अखिलेश यादव बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने तत्काल पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
बीजेपी ने अब इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से पकड़ लिया है। बीजेपी ने इस मुद्दे को पिछड़े-दलितों से जोड़ते हुए आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव ने ये कार्रवाई इसलिए की क्योंकि वो पीडीए समुदाय का दर्द नहीं समझते। बीजेपी ने न सिर्फ़ सपा को आड़े हाथों लिया बल्कि सीएम योगी ने पूजा पाल से मुलाक़ात करके ये संदेश देने की कोशिश की कि वो पिछड़ों-दलितों के साथ हैं।
2024 में बिगड़ गया था BJP का प्लान
वैसे, आपको बता दें कि 2017 के बाद बीजेपी पिछड़े और दलित वोटरों को पार्टी से जोड़ने में कामयाब रही थी और इसका असर यूपी में पार्टी की मज़बूत पकड़ के तौर पर दिख रहा है। लेकिन साल 2024 में सपा के पीडीए फॉर्मूले ने काम बिगाड़ दिया। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सपा को तगड़ा झटका दिया और 37 लोकसभा सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।