दिलीप अग्रवाल की बिलासपुर से रिपोर्ट: प्रदेश की न्यायदातालापारा क्षेत्र स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में तीन वर्षीय मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत के मामले ने अब न्यायालय का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए आगामी 26 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय की है। यह मामला पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
डीजे का सामान गिरने से बच्ची घायल
मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है, जहां 14 अगस्त के दिन तालापारा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे खेल रहे थे। इसी दौरान वहां चौकीदार के पोते रोशन देवांगन द्वारा केंद्र में रखे गए डीजे का सामान और लोहे की भारी पाइप अचानक से गिर पड़ा , जिसकी चपेट में आने से तीन वर्षीय गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गई। बच्ची को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सिम्स हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया, इस घटना से पूरे इलाके में मातम छा गया और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। तारबाहर थाना क्षेत्र में रहने वाले मृतक बच्ची मुस्कान के परिजनों का आरोप है कि, आंगनबाड़ी प्रबंधन की भारी लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ,आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस इंतजाम नहीं थे।
प्रबंधन की अनदेखी से गयी जान
वहां खुले में लोहे की पाइप और अन्य भारी सामान रखे गए थे, जो कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकते थे, परिजनों का दर्द है कि उनकी मासूम बेटी मुस्कान को प्रबंधन की अनदेखी ने उनसे छीन लिया। वहीं 14 अगस्त को हुई मासूम की मौत के बाद 22 अगस्त की सिविल लाइन पुलिस ने मीडिया में खबर आने के बाद आरोपी रोशन देवांगन के खिलाफ मामला दर्ज किया था । हालांकि पुलिस का कहना है कि बच्ची की मौत के बाद उसी दिन मार्ग कायम कर मामले को जांच कर आरोपी को कल गिरफ्तार कर लिया गया है। तालापारा क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि, आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को सुरक्षित माहौल देने की जिम्मेदारी प्रशासन और विभाग की होती है, लेकिन यहां देखरेख और निगरानी पूरी तरह नदारद थी।
अधिकारी घटनास्थल पर देर से पहुंचे
मिली जानकारी के अनुसार हादसे के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी घटनास्थल पर देर से पहुंचे, जिससे लोगों का आक्रोश और बढ़ गया, इतना ही नहीं आंगनबाड़ी में शाम होते ही नशेड़ियों का जमावड़ा हो जाता है और शराब गांजा सेवन के सबूत भी मौके से मिलते है। घटना के बाद सिविल लाइन थाना पुलिस ने मामला दर्ज तो किया है, जिसके बाद बीते दिन आरोपी रोशन को गिरफ्तार भी कर लिया गया है लेकिन परिजनों और स्थानीय नागरिकों में नाराजगी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि यह हादसा किसी प्रभावशाली परिवार के बच्चे के साथ हुआ होता, तो क्या पुलिस इतनी देर लगाती? अब जब मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है, तो पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है। अदालत ने 26 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय की है। इस दौरान यह देखा जाएगा कि प्रशासन और पुलिस ने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं और हादसे के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं।अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हुई हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अदालत इस मामले में कठोर रुख अपनाएगी और दोषियों को सख्त सजा दिलाएगी, ताकि भविष्य में मासूम बच्चों की जान इस तरह की लापरवाही के कारण न जाए। वहीं पूरे मामले में उच्च न्यायलय ने बिलासपुर कलेक्टर से भी ज़बाब तलब किया है। हादसा होने के एक हफ्ते बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।