Biggest Stampede in India 2025: देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मौकों पर भीड़ की वजह से ऐसी कई घटनाएं घटित हुई है. जिसमें कई लोगों की जान चली गई है. आइए एक-एक करके सभी घटनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और इसके पीछे की वजहों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे. अगर पिछले 6 महीनों की बात करें तो देश में भीड़-भाड़ वाली जगहों पर कई हादसे हुए हैं, जिनमें कई लोग मारे गए और घायल हुए. इससे भीड़ नियंत्रण और जवाबदेही में सुधार की मांग बढ़ी है. तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से राजनेता बने विजय की रैली में भगदड़ हुई, जिसमें 41 लोगों की मौत हो गई. इस घटना के सामने आते ही इस साल हुई कई अन्य घटनाओं की बुरी यादों को फिर से ताजा कर दिया.
कौन है इस घटना का जिम्मेदार?
इन घटनाओं के सामने आते ही मन में यही सवाल उठता है कि आखिर कहां कमी रह गई? प्रशासन नाकामयाब रहा या रैली का आयोजन करने वाले आयोजक? या फिर अति उत्साहित भीड़ जो अपने पसंदीदा अभिनेता, खिलाड़ी या सेलिब्रिटी की एक झलक पाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा देते हैं और अपने परिवार को कभी न भूलने वाला जिंदगी का सबसे गहरा जख्म दे जाते हैं. आरसीबी द्वारा आईपीएल ट्रॉफी जीतने के बाद बेंगलुरु में मची भगदड़ हो या तमिलनाडु के करूर में विजय की रैली में मची भगदड़ हो, सबमें जान तो आम इंसान की ही जाती है.
Utter nonsense. Hearing that more than 30 people including children losing their lives over a stampede in actor/politician Vijay’s rally is heartwrenching and totally not right.
My heart goes out to every one of those innocent victims and my deepest condolences to every one of…
— Vishal (@VishalKOfficial) September 27, 2025
देश के विभिन्न राज्यों में हुई बड़ी भगदड़ की घटनाएं
तमिलनाडु के करूर में राजनीतिक रैली में 41 लोगों की मौत हुई. ओडिशा के पुरी में रथ यात्रा के दौरान मची भगदड़ में 3 लोगों की मौत हुई. बेंगलुरु में आरसीबी द्वारा आईपीएल ट्रॉफी जीतने के बाद निकाले गए विक्ट्री परेड में 11 लोगों की जान चली गई. गोवा के शिरगांव में देवी श्री लैराई देवी के मंदिर जाने के लिए संकरी गलियों में भगदड़ मचने से सात लोगों की मौत हो गई. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हुई. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ 2025 में मची भगदड़ में 37 लोगों की जान चली गई. ये तो सिर्फ मौत के आंकड़ें हैं, इन सभी घटनाओं में कई लोग घायल भी हुए हैं.
So disturbing! Heart-breaking! 😢
We need to get out of the hero-worshipping mentality. No celebrity is worth risking a life. #KarurStampede#VijayRally pic.twitter.com/FAlgDjKUkG— Satish Acharya (@satishacharya) September 28, 2025
करूर में कैसी मची भगदड़?
सभी घटनाओं में एक आम बात सामने आई है वो है खराब मैनेजमेंट, लोगों की संख्या का गलत अनुमान और भीड़ नियंत्रण के लिए खराब इंतजाम. इसके अलावा, ऐसी घटनाओं के पीछे लोगों का उत्साह और अनुशासन की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार होती है. एंट्री या एग्जिट गेट पर बेकाबू भीड़, सुविधाओं पर ज़्यादा दबाव और इमरजेंसी में धीमी प्रतिक्रिया ने स्थिति को और खराब कर दिया. लोगों में डर और भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाने की वजह से भगदड़ और बढ़ गई.
इन घटनाओं को कैसे रोका जा सकता था?
प्रभावशाली भीड़ प्रबंधन के लिए प्री-रजिस्ट्रेशन, चरणबद्ध एंट्री और कई एंट्री पॉइंट के साथ कड़े एंट्री नियम होने चाहिए. CCTV और ड्रोन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करके भीड़ की स्थिति पर नज़र रखी जा सकती है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाना, स्पष्ट तरीके से लोगों से संवाद करना और मौके पर इमरजेंसी मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराना कुछ ऐसे उपाय हैं जो किए जा सकते हैं.
लीडर और आयोजकों की जवाबदेही
यह आयोजकों, राजनीतिक दलों और अधिकारियों की जिम्मेदारी है. करूर की घटना के बाद जांच आयोग का गठन सही दिशा में एक कदम है, लेकिन संस्थागत जवाबदेही ज़रूरी है. इसमें खुले सुरक्षा ऑडिट, लापरवाही पर कार्रवाई और वोट के लिए राजनीति के बजाय सुरक्षा को प्राथमिकता देना शामिल है. भले ही बड़े आयोजन सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हों, लेकिन भारत में अक्सर होने वाली भगदड़ की घटनाएं लोगों में अनुशासन की कमी और व्यवस्था में खामियों को दर्शाती हैं. भविष्य में जान-माल की हानि को रोकने और सुरक्षित सार्वजनिक आयोजन सुनिश्चित करने के लिए बेहतर योजना, तकनीक का उपयोग, लोगों में जागरूकता और नेताओं की कड़ी जवाबदेही बहुत ज़रूरी है.
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