Home > देश > ‘सपा से नहीं कोई उम्मीद अब ये दिलवा सकता है न्याय’ आजम खान की पत्नी ने अब किन पर जताया भरोसा?अखिलेश यादव ने भी बताए 3 रास्ते

‘सपा से नहीं कोई उम्मीद अब ये दिलवा सकता है न्याय’ आजम खान की पत्नी ने अब किन पर जताया भरोसा?अखिलेश यादव ने भी बताए 3 रास्ते

Akhilesh Yadav: यूपी में उस समय राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई जब समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा कुछ दिन पहले उनसे मिलने जेल पहुंची। पति से मिलने के बाद फातिमा इतनी भावुक हो गईं कि उन्होंने दुःख जाहिर करते हुए कहा कि, उन्हें किसी से उम्मीद नहीं है, उन्हें सिर्फ अल्लाह से उम्मीद है।

By: Heena Khan | Published: June 29, 2025 8:32:09 AM IST



Akhilesh Yadav: यूपी में उस समय राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई जब समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा कुछ दिन पहले उनसे मिलने जेल पहुंची। पति से मिलने के बाद फातिमा इतनी भावुक हो गईं कि उन्होंने दुःख जाहिर करते हुए कहा कि, उन्हें किसी से उम्मीद नहीं है, उन्हें सिर्फ अल्लाह से उम्मीद है। वहीँ अब उनकी इस बात को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या जेल में बंद आजम खान सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज हैं? वहीँ अब इस मामले को लेकर अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है।

अखिलेश ने बताए 3 रास्ते 

इस मामले को लेकर अखिलेश यादव ने उनकी पत्नी को उनकी रिहाई के 3 रास्ते बताए हैं। इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनके पास तीन ही रास्ते हैं। हम क्या कर सकते हैं? अब उन्हें न्याय तभी मिल सकता है जब यह सरकार बदलेगी। उनके साथ अन्याय हो रहा है। उन पर लगातार मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, इसलिए आजम खान को राहत तभी मिल सकती है जब सरकार बदलेगी। इसलिए आप सब मिलकर सरकार बदलिए। दूसरा रास्ता है कोर्ट। कोर्ट से उन्हें न्याय मिल सकता है। तीसरा विकल्प है कि हम सब ईश्वर और भगवान में विश्वास रखते हैं। ईश्वर और भगवान में सबकी आस्था है। न्याय तभी मिलेगा जब सरकार बदलेगी या फिर ईश्वर से।

RSS पर साधा निशाना 

केवल यही नहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरएसएस के बयान को लेकर कहा कि, ‘जो लोग आरक्षण और संविधान के खिलाफ हैं, जब वो सीधे तौर पर आरक्षण खत्म करने की बात नहीं कर सकते तो समाजवाद शब्द को हटाने की बात करते हैं।जिनके दिमाग में नफरत और नकारात्मक राजनीति भरी हुई है, जो समाज को बांटकर और दीवारें खड़ी करके राजनीति करना चाहते हैं, जो जातियों और धर्मों पर बैठना चाहते हैं, वो समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ हैं।

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