Ayushman Bharat Scheme: आयुष्मान योजना के तहत देश भर के गरीबों को काफी लाभ मिला है, लेकिन अब योजना संकट की घड़ी से गुजर रही है। आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का उद्देश्य हर ज़रूरतमंद व्यक्ति को मुफ़्त इलाज उपलब्ध कराना है। लेकिन इस योजना की विश्वसनीयता और भविष्य पर सवाल खड़े कर रहे हैं। हर साल बड़ी संख्या में अस्पताल इस योजना से जुड़ते थे, लेकिन अब निजी अस्पतालों की इसमें रुचि कम होती दिख रही है।
2024-25 में नए अस्पतालों के जुड़ने की संख्या में कमी
2024-25 में आयुष्मान भारत योजना से केवल 2,113 अस्पताल जुड़े हैं, जबकि 2023-24 में यह संख्या 4,271 और 2022-23 में 3,124 थी। यानी इस बार योजना से जुड़ने वाले अस्पतालों की संख्या में स्पष्ट गिरावट आई है। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने दी है
इस योजना में कितने अस्पताल शामिल हैं?
जानकारी के अनुसार, अब तक देश भर में कुल 31,466 अस्पताल इस योजना से जुड़ चुके हैं, जिनमें से 14,194 निजी अस्पताल हैं। इसका मतलब है कि योजना का दायरा बढ़ा है, लेकिन नई भागीदारी कम हो रही है।
इस योजना में कितने उपचार शामिल हैं?
इस योजना के तहत उपलब्ध उपचार के लिए स्वास्थ्य लाभ पैकेज को पाँच बार अपडेट किया गया है। 2022 में शुरू किया गया नया पैकेज एचबीपी 2022, 1,961 प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाओं को कवर करता है, जो 27 विभिन्न विशेषज्ञताओं में फैली हुई हैं।
निजी अस्पताल क्यों पीछे हट रहे हैं?
विशेषज्ञों और निजी अस्पताल संगठनों का कहना है कि उनके सामने दो सबसे बड़ी समस्याएँ हैं। नियमों के अनुसार, राज्यों के भीतर के मरीजों को 15 दिनों में और अन्य राज्यों के मरीजों को 30 दिनों में भुगतान किया जाना चाहिए। लेकिन वास्तव में यह समय सीमा अक्सर टूट जाती है, खासकर बड़े अस्पतालों और महंगे इलाज के मामलों में। कई निजी अस्पतालों का कहना है कि उन्हें इलाज के बदले मिलने वाला पैसा लागत से कम है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है।
निर्माताओं के लिए चुनौती
- योजना को किफायती बनाए रखें
- निजी अस्पतालों को भी संतुलित वित्तीय लाभ मिलना चाहिए
- यह योजना लंबे समय तक चल सकती है और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का सपना साकार हो सकता है।