यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि क्या भारत की जेलें सच में सुधार गृह हैं या हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए “VIP कम्फर्ट ज़ोन”? रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम के बेटे नारायण साईं की बैरक से मोबाइल और सिम कार्ड बरामद होने का मामला सामने आया है जो यह दिखाता है कि बड़े नाम वालों के लिए जेल के भीतर भी ‘सुविधाओं’ का इंतज़ाम कैसे हो जाता है. पहले भी कई अपराधी बाबा, नेताओं और माफियाओं के जेल में मोबाइल, मसाज, घर का खाना, एसी रूम से लेकर महंगी सुविधाएँ पाने के किस्से सामने आ चुके है. अब सवाल यह है कैद में रहने वाला बाबा आखिर इतनी ‘शक्ति’ कहां से लाता है? जेल प्रशासन की सुरक्षा पर उठ रहे ये बड़े सवाल सिर्फ नारायण साईं की बैरक तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में फैले VIP कल्चर का खुला सबूत हैं.
नारायण साईं की बैरक से एक बार फिर मोबाइल फ़ोन बरामद
सूरत की लाजपोर जेल में रेप के आरोप में सज़ा काट रहे आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं की बैरक से एक बार फिर मोबाइल फ़ोन और SIM कार्ड मिला है. जेल एडमिनिस्ट्रेशन की शिकायत के आधार पर सचिन पुलिस स्टेशन ने साईं के खिलाफ़ केस दर्ज किया है. पुलिस ने बताया कि नारायण साईं ने मोबाइल फ़ोन को लोहे के दरवाज़े के पीछे मैग्नेटाइज़ करके सिम कार्ड को इनहेलर में छिपा रखा था.
जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने बताया कि 27 नवंबर को जेलर दीपक भाभोर को सीक्रेट जानकारी मिली कि अलग बैरक नंबर 1 में बंद नारायण साईं के पास मोबाइल फ़ोन है. जानकारी के आधार पर जेल सर्च स्क्वाड ने तुरंत रेड मारी. सर्च के दौरान बैरक के लोहे के दरवाज़े के पीछे मैग्नेटाइज़ किया हुआ एक मोबाइल फ़ोन मिला. फ़ोन से बैटरी और SIM कार्ड पहले ही निकाल लिए गए थे. जांच में पता चला कि नारायण साईं फ़ोन पर बात करने के बाद बैटरी और SIM कार्ड को अलग-अलग निकालकर छिपा देता था.
नारायण साईं के बैग से SIM कार्ड मिला
सर्च के दौरान नारायण साईं के बैग से SIM कार्ड मिला. उसने बताया कि फ़ोन इस्तेमाल करने के बाद वह बैटरी और SIM को अलग-अलग रखता था. नारायण साईं के बैरक से मोबाइल फ़ोन और SIM कार्ड मिलने से लाजपोर जेल के सिक्योरिटी सिस्टम पर फिर से सवाल उठ रहे हैं. पुलिस अभी जांच कर रही है, और सख्त एक्शन लेने की तैयारी चल रही है.
बता दें कि पिछले 11 महीनों में लाजपोर जेल से 12 से ज़्यादा मोबाइल फ़ोन मिल चुके हैं. नारायण साईं जैसे हाई-प्रोफाइल कैदी के पास मोबाइल फ़ोन पहुंचना जेल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए एक बड़ी चुनौती है. सूत्रों के मुताबिक, मोबाइल फ़ोन अक्सर विज़िटर, नए आए कैदी या कुछ स्टाफ़ मेंबर की मिलीभगत से स्मगल करके लाए जाते हैं. इस मामले की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे होने की भी संभावना है.
VIP कैदी कौन होते हैं?
अब सवाल उठता है कि जेल में मोबाइल रखना क्या वाकई संभव है क्या VIP ट्रीटमेंट में यह सुविधा शामिल है. और ये VIP कैदी कौन होते हैं? असल में, कैदियों को अपने सोशल स्टेटस और इकोनॉमिक प्रोफ़ाइल के आधार पर VIP स्टेटस के लिए अप्लाई करने का अधिकार होता है. VIP कैदियों में आम तौर पर पूर्व यूनियन कैबिनेट मिनिस्टर, स्टेट मिनिस्टर, मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट (MPs), स्टेट लेजिस्लेचर, पूर्व स्पीकर/डेप्युटी, मौजूदा MP/MLA, और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट शामिल होते हैं. यह ध्यान देने वाली बात है कि ज़्यादातर दोषी नेताओं के लिए, यह बेहतर सुविधाओं का मज़ा लेने का एक ऑप्शन होता है. यह स्पेशल स्टेटस मिलना बेहतर रहने और खाने का रास्ता है.
VIP सेल कैसे होते हैं?
भारतीय जेलों में VIP सेल का मकसद हमेशा VIP दोषियों को दूसरे कैदियों से बचाना और उन्हें जेल के बाकी लोगों से अलग रखना रहा है. सरकार इन सेल की बेहतर सिक्योरिटी और बेहतर मेंटेनेंस पर पैसा खर्च करती है. भारतीय संविधान के प्रिज़न एक्ट के अनुसार, किसी भी जेल अधिकारी को किसी कैदी को कोई भी चीज़ बेचने या इस्तेमाल करने की इजाज़त देने से फ़ायदा नहीं उठाना चाहिए. इसी तरह, अधिकारियों को जेल सप्लाई के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट में कोई दिलचस्पी नहीं होनी चाहिए. न ही वह जेल की तरफ से या किसी कैदी की किसी भी चीज़ की बिक्री या खरीद से कोई फ़ायदा उठा सकता है.