Home > देश > ड्राइविंग लाइसेंस एक्सपायर हो तो क्या मिलेगा थर्ड पार्टी क्लेम, जाने SC ने इस पर क्या स्पष्टीकरण दिया?

ड्राइविंग लाइसेंस एक्सपायर हो तो क्या मिलेगा थर्ड पार्टी क्लेम, जाने SC ने इस पर क्या स्पष्टीकरण दिया?

third party claims: सुप्रीम कोर्ट ने एक केस पर फैसला सुनाते हुए मोटर दुर्घटना मुआवजा कानून पर महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दिया है.

By: Shubahm Srivastava | Published: October 11, 2025 11:04:35 PM IST



Supreme Court On third-party claim: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मोटर दुर्घटना मुआवजा कानून पर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी बीमा कंपनी किसी तीसरे पक्ष के पीड़ित के दावे को केवल इस आधार पर पूरी तरह से अस्वीकार नहीं कर सकती कि दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी थी. 

न्यायालय ने दोहराया कि बीमाकर्ता (insurer) का प्राथमिक कर्तव्य पहले पीड़ित को मुआवज़ा देना और फिर पॉलिसी की शर्तों के उल्लंघन के लिए बीमित वाहन मालिक से राशि वसूलना है.

जानकारी के लिए बता दें कि ये स्पष्टीकरण न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ द्वारा दिया गया है. जिसमें दुर्घटना पीड़ित के परिवार के हितों की रक्षा के लिए “भुगतान करो और वसूल करो” सिद्धांत को लागू किया.

क्या था मामला?

असल में ये सवाल नंद कुमार की मां रमा बाई द्वारा दायर एक अपील से उठी है, जिसमें 13 अक्टूबर, 2011 को एक वाहन दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. नंद कुमार एक ट्रक पर कंडक्टर थे, जो एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गया था. ड्राइवर का लाइसेंस 20 जून, 2010 को समाप्त हो गया था और 3 नवंबर, 2011 को ही इसका नवीनीकरण हुआ था, जिसका अर्थ है कि दुर्घटना की तारीख को यह वैध नहीं था.

रायपुर स्थित मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, दोनों ने बीमा कंपनी को मुआवज़ा देने के दायित्व से मुक्त कर दिया था. उच्च न्यायालय ने मुआवज़े की राशि बढ़ाकर 5,33,600 रुपये कर दी, लेकिन यह निर्देश दिया कि ट्रक चालक और मालिक भुगतान के लिए उत्तरदायी हैं, यह मानते हुए कि समाप्त हो चुका लाइसेंस बीमा पॉलिसी का मूलभूत उल्लंघन है.

80 हजार हुए ग्रेजुएट, लेकिन देश से जुड़े केवल 21 डॉक्टर…क्या संसद में पेश किए गलत आंकड़े? जाने क्या है पूरा मामला?

सर्वोच्च न्यायालय का विश्लेषण

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह संतुलन स्थापित किया कि भले ही बीमा कंपनी के पास यह वैध बचाव हो कि दुर्घटना के समय चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था (जो बीमा पॉलिसी का उल्लंघन है), फिर भी वह निर्दोष तृतीय पक्ष को मुआवज़ा देने से मुक्त नहीं हो सकती. अदालत ने “भुगतान करो और वसूलो” सिद्धांत को दोहराते हुए कहा कि पीड़ित को पहले मुआवज़ा मिलना चाहिए, ताकि उसे बीमाकर्ता और बीमित व्यक्ति के बीच कानूनी विवादों में न फंसना पड़े. बाद में बीमा कंपनी बीमित व्यक्ति से यह राशि वसूल सकती है.

बीमा कंपनी को न्यायालय का आदेश 

अंतिम निर्णय सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने बीमा कंपनी को दोषमुक्त करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और उसे दावेदार को ब्याज सहित 5,33,600 रुपये का पूरा मुआवज़ा देने का निर्देश दिया, साथ ही उसे यह राशि ट्रक के मालिक से वसूलने की स्वतंत्रता भी प्रदान की. यह निर्णय इस कानूनी स्थिति को पुष्ट करता है कि मोटर दुर्घटना दावों में तृतीय-पक्ष पीड़ितों की सुरक्षा सर्वोपरि है.

Online Shopping Alert! दिवाली खरीदारी करते वक्त रहें सावधान, थोड़ा सा आलस ले जाएगा लाखों रुपये

Advertisement