UP Conversion Case: अब्दुल रहमान ये वो नाम है जिसने देश में एक बड़े लेवल पर और अलग अलग तरीकों से धर्मांतरण करवाया। वहीं इसे धर्मांतरण का मास्टर माइंड भी कहा जाता था। वहीं इस शिक्षण ने दिल्ली समेत पूरे देश में अपने तार फैलाए थे। दरअसल, मौलाना कलीम सिद्दीकी के बाद अब्दुल रहमान ने ही धर्मांतरण करवाने का जिम्मा उठाया और उनकी कमान संभाल ली। हैरान कर देने वाली बात ये है कि ये शख्स खुद पहले हिंदू से ईसाई बना, जब ईसाई धर्म समझ नहीं आया, तो मुस्लिम बन गया और फिर इसने धर्मांतरण का ठेका उठाया और हिन्दू लड़के लड़कियों को इस्लाम कुबूल करवाया।
कौन थी आयशा ?
मौलाना कलीम सिद्दीकी को उम्रकैद की सज़ा सुनाए जाने के बाद, अब्दुल रहमान ने उनकी जगह ले ली। वहीँ वो मौलाना कलीम सिद्दीकी की तर्ज़ पर काम करने लगा। गोवा से गिरफ़्तार हुई आयशा को विदेशों से फंडिंग आती थी और आयशा अब्दुल रहमान के संपर्क में रहती थी। अब्दुल रहमान और आयशा मिलकर इस पैसे को देश के अलग-अलग हिस्सों में बाँटते थे। और धर्मांतरण का पूरा खेल रचाते थे।
ऐसा था अब्दुल रहमान
आपकी जानकारी के लिए बता दें,उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रामगढ़ गाँव के रहने वाले महेंद्र पाल जादौन बेरोज़गार थे। किसी ने इस दौरान उस शख्स को सलाह दी कि अगर वो ईसाई बन जाएँ, तो उनकी बेरोज़गारी दूर हो जाएगी, जिसके बाद उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया। वहीँ जब उस शख्स से ईसाई धर्म नहीं संभल सका तो किसी ने उन्हें दिल्ली के शाहीन बाग़ में मौलाना कलीम सिद्दीकी से मिलने को कहा। फिर वो 1990 में दिल्ली पहुँचे, और उनकी मुलाक़ात मौलाना कलीम सिद्दीकी से हुई। कलीम सिद्दीकी ने उन्हें ईसाई से मुसलमान बना दिया और फिर उनका नया नाम अब्दुल रहमान पड़ गया। ये था अब्दुल रेहमान का इतिहास। आइए अब जानते हैं कैसे इस शख्स ने इस्लाम क़ुबूल करवाने का ठेका संभाला?
ऐसे करवाता था इस्लाम कुबूल
वहीँ फिर इस्लाम क़ुबूल करने के बाद अब्दुल रहमान दिल्ली में रहकर काम धंधा करने लगा और कलीम सिद्दीकी के धर्म परिवर्तन के काम में उसका साथ देने लगा। वहीँ आपको बता दें, अब्दुल रहमान का एक एक बेटा था, बेटे को भी उसने मुस्लिम बनाया और जब बेटे की शादी की बात हुई तो शर्त रखी गई कि बेटा हिन्दू लड़की को पहले मुस्लिम बनाएगा और फिर उससे निकाह करेगा। बेटे ने अपने पिता की बात मानी और ऐसा ही किया। एक हिंदू लड़की को प्रेम जाल में फंसाया गया, इसके बाद उसे मुस्लिम बनाया और अब्दुल रहमान ने फिर अपने बेटे का निकाह उस लड़की से करा दिया। वहीँ इसी तरह कई सैकड़ों लोगों को इस्लाम तक पहुंचाने में अब्दुल रहमान का हाथ था।