Home > देश > 527 अधिकारियों के तबादले…SIR के एलान से डरी ममता बनर्जी! बंगाल में ताबड़तोड़ ट्रांसफर से मचा हड़कंप

527 अधिकारियों के तबादले…SIR के एलान से डरी ममता बनर्जी! बंगाल में ताबड़तोड़ ट्रांसफर से मचा हड़कंप

West Bengal SIR 2025: 14 डीएम और कई अहम पदों पर तैनात अधिकारियों को भी बदला गया. यह आदेश 24 अक्टूबर को जारी किया गया था.

By: Shubahm Srivastava | Published: October 28, 2025 5:22:48 AM IST



WB 527 Officers Transfers : पश्चिम बंगाल में चुनावी राजनीति उस समय गरमा गई जब ममता बनर्जी सरकार ने चुनाव आयोग की एसआईआर (SIR) प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले 527 अधिकारियों के तबादले का आदेश जारी किया. इस बड़े प्रशासनिक फेरबदल में 61 आईएएस और 460 से ज़्यादा पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (डब्ल्यूबीसीएस) अधिकारी शामिल थे. 

14 ज़िलों के ज़िला मजिस्ट्रेट (डीएम) और कई अहम पदों पर तैनात अधिकारियों को भी बदला गया. यह आदेश 24 अक्टूबर को जारी किया गया था, लेकिन इसे वेबसाइट पर दो चरणों में अपलोड किया गया—एक चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता से पहले और दूसरा उसके बाद. इससे राजनीतिक भूचाल आ गया.

भाजपा ने TMC पर साधा निशाना

भाजपा ने इसे “नकली मतदाताओं को हटाने का डर” करार दिया है. पार्टी का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस को डर है कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान नकली वोटों को हटा दिया जाएगा, जिससे उसका वोट बैंक कमज़ोर हो सकता है. भाजपा नेताओं का कहना है कि आखिरी समय में बदलाव करके ममता सरकार एसआईआर की निष्पक्षता से समझौता करने की कोशिश कर रही है.

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TMC ने आरोप किए खारिज, बताया रूटीन ट्रांसफरे

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने इस आरोप को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे “रूटीन ट्रांसफर” बताया है. पार्टी का कहना है कि प्रशासनिक फेरबदल हर साल होते हैं और विपक्ष बेवजह इसका राजनीतिकरण कर रहा है. लेकिन सवाल यह उठता है कि जब चुनाव आयोग पहले ही कह चुका था कि कार्यक्रम तय होने के बाद किसी भी तबादले के लिए आयोग की मंज़ूरी ज़रूरी होगी, तो इतनी जल्दबाजी क्यों की गई?

इन जगहों के बदले गए जिलाधिकारी

उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बीरभूम, मालदा, दार्जिलिंग, कूचबिहार और हावड़ा जैसे प्रमुख ज़िलों के जिलाधिकारियों को बदल दिया गया है. कई विशेष सचिवों और आयुक्तों को भी बदला गया है, जिससे पूरे प्रशासनिक ढांचे में उथल-पुथल मची हुई है. चुनाव आयोग ने अब सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है. यह कदम बंगाल की राजनीति में एक नए राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत करता दिख रहा है.

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