WHO Warns Rising Antibiotic Resistance: दुनियाभर में बीमारियों के इलाज के लिए नई दवाएं विकसित की जा रही हैं, लेकिन बैक्टीरिया और वायरस भी तेजी से बदल रहे हैं. कई बैक्टीरिया अब उन एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हो गए हैं, जिनसे पहले आसानी से मर जाते थे. इसका मतलब है कि आम इंफेक्शन अब पहले की तरह आसानी से नहीं ठीक होते. लोग बिना डॉक्टर की सलाह बार-बार या अधूरी दवाएं लेने से इस समस्या को बढ़ा रहे हैं, WHO की रिपोर्ट के अनुसार हर 6 में से 1 बैक्टीरियल इन्फेक्शन एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हो गया है.
बैक्टीरिया और वायरस की बदलती ताकत
जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हो जाते हैं, तो उनके खिलाफ इलाज करना मुश्किल हो जाता है. इससे मरीजों में गंभीर इंफेक्शन, सेप्सिस और ऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ जाता है. साल 2018 से 2023 के बीच एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस में लगभग 40% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, यूरिनरी ट्रैक्ट, गट, ब्लड स्ट्रीम और गोनोरिया इन्फेक्शन में इस्तेमाल होने वाले 22 एंटीबायोटिक्स पर यह रेजिस्टेंस बढ़ा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत है और जल्द ही नई रणनीतियों की जरूरत होगी.
वैश्विक स्थिति और क्षेत्रीय अंतर
WHO के GLASS सिस्टम के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशियाई और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में लगभग हर 3 में से 1 संक्रमण रेजिस्टेंट पाया गया है. वहीं, अफ्रीकी क्षेत्र में यह दर 5 में से 1 है स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोर स्थिति वाले देशों में रेजिस्टेंस तेजी से बढ़ रहा है, ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया, विशेष रूप से E. coli और K. pneumoniae, ब्लड स्ट्रीम संक्रमणों में सबसे खतरनाक साबित हो रहे हैं, ये बैक्टीरिया सेप्सिस और ऑर्गन फेलियर का कारण बन सकते हैं.
खतरनाक बैक्टीरिया और दवाओं की कमजोरियाँ
E. coli के 40% और K. pneumoniae के 55% से ज्यादा स्ट्रेन तीसरी पीढ़ी के सेफालोस्पोरिन्स के प्रति रेजिस्टेंट हो चुके हैं, अफ्रीकी क्षेत्रों में यह प्रतिशत 70% से भी ऊपर पहुंच गया है. कई एंटीबायोटिक्स जैसे कार्बापेनेम और फ्लुओरोक्विनोलोन भी इन खतरनाक बैक्टीरिया के खिलाफ कमजोर पड़ रहे हैं. इससे इलाज के ऑप्शन सीमित हो रहे हैं और मरीजों की जान जोखिम में आ रही है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि नई दवाओं और सतर्कता की जरूरत तेजी से बढ़ रही है.
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