नए शोध से पता चलता है कि ओपिओइड, बेंजोडायजेपाइन, गैबापेंटिनॉइड और एंटीडिप्रेसेंट जैसी आम प्रिस्क्रिप्शन दवाएं, बुजुर्गों में नींद आने और संतुलन बिगड़ने के कारण गिरने के जोखिम को काफी बढ़ा देती हैं. ये दवाएं भ्रम और चक्कर का कारण भी बन सकती हैं, जिससे बुजुर्ग अधिक असुरक्षित हो जाते हैं. गिरने से कई तरह की चोटें लग सकती हैं और बुजुर्गों में यह जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है. नए शोध में एक महत्वपूर्ण कारक पर प्रकाश डाला गया है कि गिरने के जोखिम को बढ़ा सकता है. JAMA हेल्थ फोरम में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, कुछ निर्धारित दवाएं मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं और गिरने के जोखिम को बढ़ा देती हैं
इन दवाओं का सेवन करने से लोगों को नींद बहुत ज्याद आने लगती है और उनका संतुलन भी बिगड़ सकता है. तो आइए जानते हैं कि इन दवाओं से कैसे वृद्ध वयस्कों को नुकसान पहुंच सकता है.
ओपिओइड्स: आक्सीकोडीन, हाइड्रोमॉफोर्न
बेंजोडायजेपाइन: हाइड्रोमोफोर्न, अल्प्राजोलन
गैबापेंटिनोइड्स: न्यूरोन्टिन, होराइज़ेंट, ग्रेलिस
अवसादरोधी दवाएं- सिटालोप्राम, सेर्टालाइन
इन दवाओं का प्रभाव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर पड़ता है, जिससे व्यक्ति को नींद नहीं आती, चक्कर आना या भ्रम की स्थिति महसूस होती है. इससे मानसिक और शारीरिक प्रभावों के कारण व्यक्ति के गिरने की आशंका बन जाती है.
गिरने के खतरे का संकेत देने वाले चेतावनी चिन्ह
दिन में नींद आना
चीजें याद न रहना
भ्रम
दृष्टि का कमजोर होना
अचानक चक्कर आना
ऐसे मामले बुजुर्गों में देखने को ज्यादा मिलते हैं.
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क्या इसको रोकने का कोई रास्ता है?
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, इन दवाओं का सेवन करने वालों के लिए इन्हें अचानक बंद करना समस्या पैदा कर सकता है. किसी स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करना सबसे पहला कदम है, क्योंकि इससे इन दवाओं की आवश्यकता के बारे में स्पष्टता मिल सकती है। दवाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन दुष्प्रभावों पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए और उनका समय पर समाधान किया जाना चाहिए.