कुछ महिलाओं ने देखा है कि बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने के बाद उनका वजन बढ़ने लगता है. इसका कारण अक्सर फ्लूइड रिटेंशन (water retention) होता है, यानी शरीर के अंदर पानी का जम जाना. यह एक अस्थायी असर है और अधिकांश महिलाओं में यह वजन दो से तीन महीने के भीतर अपने आप कम हो जाता है. अगर आपको भी ऐसा महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. डॉक्टर आपकी जरूरत के अनुसार कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के विकल्प सुझा सकते हैं.
गर्भनिरोधक गोलियों के प्रकार
कॉम्बिनेशन पिल्स
इनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन दोनों हार्मोन होते हैं.
सिर्फ प्रोजेस्टिन वाली पिल्स
कुछ पिल्स में केवल प्रोजेस्टिन होता है. हर ब्रांड की पिल्स में प्रोजेस्टिन की मात्रा अलग-अलग हो सकती है, और यही फर्क उनके साइड इफेक्ट्स का कारण बनता है.
गर्भनिरोधक गोलियों की गुणवत्ता में सुधार
पहली बार जब मार्केट में ये गोलियां आई थीं, तो इनमें हार्मोन का लेवल काफी ज्यादा था. इससे वजन बढ़ने और भूख बढ़ने जैसे साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते थे. लेकिन आजकल की पिल्स में हार्मोन की मात्रा कम होती है, इसलिए वजन बढ़ने की संभावना पहले जितनी अधिक नहीं रहती.
गर्भनिरोधक गोलियां कैसे काम करती हैं?
बैरियर पद्धति (Barrier):
इन गोलियों का असर सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान होता है. ये स्पर्म को एग तक पहुंचने से रोक देती हैं.
हार्मोनल पद्धति (Hormonal):
हार्मोनल पिल्स शरीर की केमिस्ट्री को बदल देती हैं. ये ओवरीज को एग रिलीज करने से रोकती हैं, या सर्विक्स के आसपास म्यूकस को मोटा कर देती हैं ताकि स्पर्म एग तक न पहुँच पाए.
गर्भनिरोधक गोलियों की प्रभावशीलता
इनकी प्रभावशीलता हर महिला और ब्रांड पर निर्भर करती है. यदि पिल्स नियमित रूप से नहीं ली जातीं या सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता, तो उनकी असरकारिता कम हो सकती है.
जानकारी के लिए
100 महिलाओं में से जो गर्भनिरोधक दवाइयों का उपयोग नहीं करती, हर साल लगभग 85 महिलाएं गर्भ धारण कर लेती हैं.
इसलिए सही तरीके से पिल्स का सेवन और डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है.