Diwali 2025 Hearing loss: त्योहारों का सीजन आते ही आसमान रंग-बिरंगी रौशनी और गूंजते पटाखों से भर जाता है. दिवाली हो या शादी-ब्याह, अब पटाखे जैसे हर जश्न का हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन, क्या कभी आपने सोचा है कि इन धमाकों की तेज आवाजें सिर्फ खुशी नहीं, बल्कि कानों के लिए खतरा भी हैं? जी हां, जितनी जोरदार आवाज से ये फूटते हैं, उतनी ही गहरी चोट ये आपके ईयरड्रम को पहुंचा सकते हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पटाखों की आवाज 150 से 175 डेसिबल तक पहुंच जाती है. अब जरा सोचिए, हमारी सुनने की सुरक्षित सीमा होती है करीब 85 डेसिबल! यानी पटाखों की आवाज उससे लगभग दोगुनी या तिगुनी ज्यादा होती है. ऐसी आवाजें हमारे कानों के अंदर मौजूद नाजुक झिल्ली और साउंड रिसेप्टर्स को झटका देती हैं, जिससे Noise-Induced Hearing Loss यानी अचानक सुनने की क्षमता खोने का खतरा बढ़ जाता है.
क्या कहती है WHO की रिपोर्ट?
इसके अलावा एक और समस्या है- Tinnitus, जिसमें कान में लगातार भनभनाहट या घंटी बजने जैसी आवाज सुनाई देती रहती है. WHO और NIDCD की रिपोर्ट बताती हैं कि पटाखों से उत्पन्न शोर से टिनिटस, कान में दर्द, इयरड्रम फट जाना और स्थायी बहरापन तक हो सकता है. कई बार यह नुकसान तुरंत नजर नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे सुनने की शक्ति कम होती चली जाती है.
कैसे बचें इस खतरे से?
त्योहार मनाना गलत नहीं, लेकिन कानों की सुरक्षा उतनी ही जरूरी है. पटाखे जलाते समय उनसे पर्याप्त दूरी बनाए रखें क्योंकि दूरी बढ़ने से आवाज का असर कम हो जाता है. बच्चों के कान बेहद संवेदनशील होते हैं, इसलिए उन्हें पटाखों के बहुत करीब न जाने दें. ईयरप्लग या इयरमफ पहनना एक आसान और असरदार तरीका है. अगर कभी तेज आवाज के बाद कान में भारीपन, दर्द या बजना महसूस हो, तो तुरंत ENT डॉक्टर से संपर्क करें. इस दिवाली, खुशी के साथ जागरूकता भी जलाइए. आखिर, असली जश्न वही है जिसमें दिल भी मुस्कुराए और कान भी सुरक्षित रहें.
Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.

