Home > हेल्थ > प्रदूषण का खेल गर्भ से शुरू, नवजात और बच्चों में स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ता खतरा जानें क्या कहती है CSE रिपोर्ट?

प्रदूषण का खेल गर्भ से शुरू, नवजात और बच्चों में स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ता खतरा जानें क्या कहती है CSE रिपोर्ट?

Air Pollution : वायु प्रदूषण गर्भावस्था के दौरान मां को प्रभावित करता है, जिससे भ्रूण को खतरा होता है. इससे मृत जन्म, समय से पहले जन्म, कम वजन का जन्म और बाद में मधुमेह जैसी बीमारियां होती हैं.

By: Shivashakti Narayan Singh | Published: October 23, 2025 9:07:14 PM IST



Air Pollution : वायु प्रदूषण गर्भावस्था के दौरान मां को प्रभावित करता है, जिससे भ्रूण को खतरा होता है. इससे मृत जन्म, समय से पहले जन्म, कम वजन का जन्म और बाद में मधुमेह जैसी बीमारियां होती हैं. पांच साल से कम उम्र के बच्चे फेफड़ों की क्षति, मस्तिष्क विकास में रुकावट (एडीएचडी, कम आईक्यू) और दीर्घकालिक बीमारियों से ग्रस्त होते हैं. भारत में नवजात शिशुओं की मृत्यु का 25% हिस्सा प्रदूषण के कारण होता है.

बच्चे अपनी मां के गर्भ में ही प्रदूषण के संपर्क में आ जाते हैं

वायु प्रदूषण आज एक बड़ी वैश्विक समस्या है. यह न केवल वयस्कों को, बल्कि अजन्मे बच्चे को भी नुकसान पहुँचाता है. जब एक गर्भवती माँ प्रदूषित हवा में साँस लेती है, तो बच्चे को खतरा होता है. यह खतरा नवजात शिशुओं, छोटे बच्चों और किशोरों को आजीवन बीमारियों का कारण बनता है.यह समस्या विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में गंभीर है. भारत में, दुनिया के एक-चौथाई नवजात शिशु पहले महीने में ही मर जाते हैं. प्रदूषण एक प्रमुख कारण है. विज्ञान ने स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है कि कैसे प्रदूषक शरीर में प्रवेश करते हैं और अंगों को नुकसान पहुँचाते हैं.इससे न केवल सांस संबंधी रोग होते हैं, बल्कि कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं. गरीब परिवारों के बच्चे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. आइए समझते हैं कि प्रदूषण गर्भ से ही बच्चों को कैसे प्रभावित करता है.

मां के गर्भ में प्रदूषण

गर्भ में पल रहा भ्रूण प्रदूषण का सबसे बड़ा शिकार होता है. जब मां प्रदूषित हवा में रहती है, तो उसके शरीर से ज़हरीले कण (धूल और धुआँ) बच्चे तक पहुँच जाते हैं. इससे बच्चे के बचने की संभावना कम हो जाती है.

मुख्य नुकसान

मृत जन्म: गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु हो जाती है.

कम वजन: बच्चा छोटा और कमजोर पैदा होता है.

समय से पहले जन्म: बच्चा समय से पहले पैदा होता है, जो कमज़ोर होता है.

विज्ञान बताता है कि प्रदूषण मां के फेफड़ों को प्रभावित करता है. इससे बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है. गर्भ में फेफड़ों का विकास रुक जाता है, जिससे आगे चलकर श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं. छोटे कण (पार्टिकुलेट मैटर) माँ में सूजन पैदा करते हैं. इससे उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो जाती है.

परिणामस्वरूप, संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. बच्चे का तंत्रिका संबंधी विकास बाधित होता है. कमज़ोर बच्चों में श्वसन तंत्र के संक्रमण, दस्त, मस्तिष्क क्षति, सूजन, रक्त रोग और पीलिया होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. ये बच्चे इन बीमारियों से लड़ने में कमज़ोर होते हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है

Advertisement