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VIP नंबर पर 1.17 करोड़ की बोली लगाकर पैसे नहीं दिए! हरियाणा सरकार करेगी अब उस शख्स की आय–संपत्ति की जांच

Haryana News: अनिल विज ने इस पर नाराजगी दिखाते हुए कहा कि कई लोग प्रतिष्ठा या शौक के चलते ऊंची बोली लगा देते हैं, लेकिन बाद में रकम चुकाने से पीछे हट जाते हैं.

By: Shubahm Srivastava | Published: December 4, 2025 3:31:14 AM IST



Haryana Fancy Number Auction: हरियाणा में फैंसी वीवीआईपी वाहन नंबरों की ऑनलाइन नीलामी से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें एचआर 88 बी 8888 नंबर के लिए 1 करोड़ 17 लाख रुपये की बोली लगाने वाले व्यक्ति की आर्थिक क्षमता पर अब सरकार गंभीर जांच कर रही है। परिवहन मंत्री अनिल विज ने बताया कि नीलामी के दौरान हिसार के एक व्यक्ति ने इस नंबर के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी और 11,000 रुपये की सुरक्षा राशि भी जमा कराई थी। 

लेकिन बोली जीतने के बाद भी उसने निर्धारित समयसीमा में भुगतान नहीं किया और राशि जमा कराने से पीछे हट गया। इसके बाद उसकी सुरक्षा राशि जब्त कर ली गई.

सरकारी प्रणाली का दुरुपयोग होता है – अनिल विज

अनिल विज ने इस पर नाराजगी दिखाते हुए कहा कि कई लोग प्रतिष्ठा या शौक के चलते ऊंची बोली लगा देते हैं, लेकिन बाद में रकम चुकाने से पीछे हट जाते हैं, जिससे न सिर्फ सरकारी प्रणाली का दुरुपयोग होता है बल्कि नीलामी प्रक्रिया की गंभीरता भी प्रभावित होती है। उन्होंने साफ कहा कि यह प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

संपत्ति और वित्तीय स्थिति की होगी आधिकारिक जांच

इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्री ने परिवहन अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस व्यक्ति की विस्तृत जांच करवाई जाए। उसमें यह देखा जाए कि क्या उसकी वास्तविक आर्थिक क्षमता इतनी बड़ी बोली लगाने की थी या नहीं। इसके अलावा, इस मामले में आयकर विभाग को भी पत्र भेजा जाएगा, ताकि उसके आय स्रोत, संपत्ति और वित्तीय स्थिति की आधिकारिक जांच हो सके.

बोली लगाने वालों की जिम्मेदारी जरूरी – अनिल विज

अनिल विज ने बताया कि वीवीआईपी नंबर प्लेटों की नीलामी केवल प्रतिष्ठा का प्रतीक नहीं है, बल्कि राज्य के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान भी देती है। इसलिए बोली लगाने वालों की जिम्मेदारी जरूरी है। उनके अनुसार, बिना आर्थिक क्षमता के सिर्फ दिखावे के लिए ऊंची बोली लगाना नीलामी प्रक्रिया को प्रभावित करता है और ऐसे मामलों पर अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

ऑक्शन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर उठे सवाल

चरखी दादरी के बाढ़ड़ा उपमंडल से जुड़े इस मामले ने सरकार को ऑक्शन प्रक्रिया की पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए और कड़े मानदंड लागू किए जाने की संभावना है, ताकि केवल वही लोग बोलियां लगाएं जो वास्तविक रूप से भुगतान करने में सक्षम हों.

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