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हरियाणा में अब एनसीआर जिलों में चलेंगी सिर्फ BS-6 बसें, पुराने मॉडल क्यों हुए बंद ?

हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. अब राज्य के एनसीआर (NCR) जिलों में केवल बीएस-6 (Bharat Stage-VI) मानक की बसों का ही संचालन होगा. बीएस-4 या उससे पुराने मॉडल (Old Model) की बसों को तत्काल प्रभाव से हटाकर नॉन-एनसीआर (Non NCR) क्षेत्रों में भेजा जा रहा है. यह निर्णय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिया गया है.

By: DARSHNA DEEP | Published: November 6, 2025 12:50:47 PM IST



Haryana Government Big Decision: लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को लेकर लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वायु प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत समेत कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तो वहीं, दूसरी तरफ वायु प्रदूषण से निपटने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी (NCR) में स्वच्छ हवा को सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा राज्य परिवहन विभाग ने बड़ा ही ऐतिहासिक फैसला लिया है.

हरियाणा राज्य परिवहन विभाग का बड़ा फैसला

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए हरियाणा राज्य परिवहन विभाग ने एक एतिहासिक और बड़ा फैसला लेते हुए अब एनसीआर के सभी जिलों जैसे फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल में अब सिर्फ और सिर्फ बीएस-6 मानक की बसें चलेंगी.

तत्काल प्रभाव से एनसीआर से हटाई गई पुरानी बसें

जी हां, आपने सही पढ़ा. दरअसल, पुराने बीएस-4 और उससे नीचे वाली बसों को अब तत्काल प्रभाव से एनसीआर से हमेशा के लिए हटा दिया गया है. इन्हें अब प्रदेश के नॉन-एनसीआर जिलों में स्थानांतरित किया जा रहा है, ताकि किसी भी तरह से परिवहन सेवाओं पर ज्यादा असर नहीं पड़े. 

इसके अलावा हरियाणा परिवहन विभाग ने यह दावा करते हुए कहा है कि यह ऐतिहासिक कदम वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के दिशा-निर्देशों के तहत उठाया गया है और जल्द ही विभाग इस संबंध में औपचारिक सूचना आयोग और राज्य सरकार को पत्र के माध्यम से भेजने की कोशिश करेगा.

बीएस-6 मानक की बसें ज्यादा हैं उन्नत और पर्यावरण-अनुकूल 

एक बात तो साफ है कि बीएस-6 मानक की बसें तकनीकी रूप से ज्यादा उन्नत के साथ-साथ पर्यावरण-अनुकूल भी है. इनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन बेहद ही कम होता है. इसके अलावा, ये बसें बेहतर ईंधन दक्षता प्रदान करती हैं, जिससे कार्बन फुटप्रिंट और वायु प्रदूषण दोनों में कमी आती है.

पुराने डीजल वाहनों के संचालन पर बरती जा रही सख्ती

CAQM पहले से ही एनसीआर में पुराने डीजल वाहनों के संचालन पर सख्ती बरती जा रही है. हरियाणा रोडवेज का यह फैसाल न सिर्फ आयोग की नीति के अनुरूप है, बल्कि जनता को स्वच्छ और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराने की दिशा में भी बेहद ही एक महत्वपूर्ण कदम है.

विभाग की इस योजना के अनुसार, आने वाले समय में इलेक्ट्रिक बसों को ही ज्यादा से ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी. पुरानी डीजल बसों को धीरे-धीरे पूरी तरीके से हटाया जाएगा.

 यह कदम हरियाणा सरकार की पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीरता को दर्शाता है, खासकर सर्दियों में जब एनसीआर क्षेत्र की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर देखने को मिल रही है. तो वहीं, एनसीआर के लोगों को अब साफ और प्रदूषण-मुक्त हवा के साथ-साथ बेहतर परिवहन सुविधाएं मिलने का भी उम्मीद है. 

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