The Real ‘Ikkis’ Story: 21 साल की उम्र दुश्मन खेमे में मचा दी थी खलबली, युद्ध के मैदान में दिखाया था अपना शौर्य; 71 के नायक की अमर कहानी

The Real 'Ikkis' Story: भारतीय सैन्य इतिहास की सबसे भीषण टैंक लड़ाइयों में बसंतर के युद्ध को सबसे अहम माना जाता है. इस युद्ध के दौरान अरुण खेत्रपाल ने मैदान में अपना शौर्य दिखाया और युद्ध का रुख मोड़ कर रख दिया.

Published by Preeti Rajput

The RealIkkisStory: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 16 दिसंबर का दिन भारत के लिए गर्व का दिन है. इसी दिन पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपने साहस, पराक्रम और बलिदान से दुश्मन को पराजित किया. जब भी इस युद्ध की बात होती है, बसंतर की भीषण लड़ाई का ज़िक्र ज़रूर किया जाता है. यह लड़ाई भारतीय सेना के इतिहास की सबसे कठिन और भयंकर टैंक लड़ाइयों में से एक मानी जाती है. इसी युद्ध में सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल ने अपनी बहादुरी से युद्ध का रुख बदल दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.

सेना से जुड़ा परिवार और अरुण खेत्रपाल का बचपन

अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. उनका परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के सरगोधा इलाके से था, लेकिन देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया. अरुण का परिवार पीढ़ियों से सेना से जुड़ा हुआ था. उनके परदादा सिख खालसा सेना में थे और उनके दादा ने प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था. उनके पिता ब्रिगेडियर एम.एल. खेत्रपाल भी भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे और उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध तथा 1965 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया था. ऐसे माहौल में पले-बढ़े अरुण के मन में बचपन से ही देश सेवा की भावना थी.

Related Post

इंजीनियर नहीं, सैनिक बनने का सपना

अरुण खेत्रपाल पढ़ाई में बहुत तेज थे. उनके पिता चाहते थे कि वह आईआईटी से इंजीनियर बनें, लेकिन अरुण का सपना कुछ और था. वह सेना में जाकर देश की रक्षा करना चाहते थे. उन्होंने लॉरेंस स्कूल, सनावर से पढ़ाई की और फिर एनडीए की परीक्षा पास कर नेशनल डिफेंस एकेडमी में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ट्रेनिंग ली. 13 जून 1971 को अरुण खेत्रपाल को पूना हॉर्स रेजिमेंट में सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला. सेना की वर्दी पहनकर देश सेवा का उनका सपना पूरा हुआ, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि जल्द ही उन्हें युद्ध के मैदान में उतरना पड़ेगा.

छह महीने में ही युद्ध और बसंतर का मोर्चा

सेना में नौकरी शुरू किए हुए अरुण को केवल छह महीने ही हुए थे कि 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया. उस समय वह अहमदनगर में यंग ऑफिसर्स कोर्स कर रहे थे. कोर्स छोड़कर वह सीधे शकरगढ़ सेक्टर पहुंचे, जहां बसंतर नदी के पास भयंकर लड़ाई चल रही थी. यह इलाका नदियों, नालों और बारूदी सुरंगों से भरा हुआ था, जिससे टैंकों का चलना बेहद मुश्किल था. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने अमेरिकी पैटन टैंकों के साथ जोरदार हमला किया. भारतीय सेना के पास पुराने सेंचुरियन टैंक थे और संख्या भी कम थी, फिर भी भारतीय जवान डटे रहे.

अंतिम सांस तक लड़े, मिला परमवीर चक्र

लड़ाई के दौरान अरुण खेत्रपाल ने अपनी टुकड़ी के साथ आगे बढ़कर दुश्मन के कई टैंकों को नष्ट कर दिया. उनके टैंक पर गोला लगा और वह घायल हो गए, लेकिन उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया. कमांडर के आदेश के बावजूद उन्होंने कहा कि जब तक उनका टैंक चल रहा है, वह लड़ते रहेंगे. आमने-सामने की लड़ाई में उन्होंने एक और पाकिस्तानी टैंक को नष्ट किया, लेकिन दुश्मन के दूसरे गोले से उनके टैंक में आग लग गई और वे वीरगति को प्राप्त हो गए. उनकी बहादुरी से पाकिस्तानी हमला रुक गया और भारत की जीत तय हो गई. अरुण खेत्रपाल की इस महान शहादत के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. आज भी उनका नाम भारत के महान वीर सपूतों में गर्व से लिया जाता है.

Preeti Rajput

Recent Posts

मुझे Gen Z पर बहुत भरोसा है… वैभव सूर्यवंशी समेत इन बच्चों के मुरीद हुए प्रधानमंत्री, पढ़िए उन्होंने क्या कहा?

वीर बाल दिवस पर राष्ट्रपति ने वैभव सूर्यवंशी समेत 20 बच्चों को किया सम्मानित. आखिर…

December 26, 2025

Fatima Sana Shaikh diet: ‘रात को पानी पूरी और दिन में…’, फातिमा सना शेख ने पहले की डाइट का किया खुलासा..!

Fatima Sana Shaikh diet: फातिमा सना शेख ने अपने लाइफस्टाइल में आए बदलावों पर खुलकर…

December 26, 2025

Tamannaah Bhatia Morning Routine: तमन्ना भाटिया की तरह दिखना चाहते हैं फिट, तो अपने दिन की ऐसे करें शुरूआत..!

Tamannaah Bhatia Diet: तमन्ना भाटिया ने अपनी सुबह चाय और सूखे मेवों के साथ आराम…

December 26, 2025

आखिर कब लागू होगा 8th Pay Commission? कितना मिलेगा सरकारी कर्मचारियों को फायदा, यहां जानें हर एक Detail

8th pay commission: काफी लंबे समय से देश के केंद्रीय कर्मचारी 8th pay commission का…

December 26, 2025