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दिल्ली ब्लास्ट के बाद अब कैसे काम करेंगी देश की टॉप सुरक्षा एजेंसियां, यहां जानें क्या कहते हैं सुरक्षा प्रोटोकाल?

Red Fort Blast: इस धमाके की साजिश और कारणों का पता लगाने के लिए कई देश की सभी सुरक्षा और जांच एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं.

By: Shubahm Srivastava | Published: November 11, 2025 2:27:16 AM IST



How Investigation Is Done: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट ने राजधानी को दहला दिया है. अब तक 9 लोगों की मौत और 20 के घायल होने की पुष्टि हुई है. विस्फोट के तुरंत बाद प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को सील कर दिया और जांच एजेंसियां घटनास्थल पर पहुंच गईं. इस धमाके की साजिश और कारणों का पता लगाने के लिए कई सुरक्षा एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं. 

अब ऐसे समय में सुरक्षा और जांच एजेंसियां कैसे काम करती हैं उसपर एक नजर डाल लेते हैं. धमाके के बाद जांच तीन चरणों में होती है — रिस्पॉन्स, फॉरेंसिक जांच, और इंटेलिजेंस समन्वय.

पहले चरण में क्या कुछ होता है?

पहले चरण में, धमाके की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस मौके पर पहुंचते हैं. सबसे पहले आग बुझाने और लोगों की जान बचाने पर ध्यान दिया जाता है. पूरा इलाका सील कर दिया जाता है ताकि सबूतों से छेड़छाड़ न हो सके. मेडिकल टीमें घायलों की ट्रायाज प्रक्रिया करती हैं, यानी यह तय करती हैं कि किसे तुरंत अस्पताल भेजना है और किसे वहीं प्राथमिक इलाज देना है. आसपास की इमारतों को खाली कराया जाता है ताकि किसी अन्य विस्फोट का खतरा न रहे.

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दूसरे चरण में EOD और फॉरेंसिक टीमों की होती है एंट्री

दूसरे चरण में EOD (Explosive Ordnance Disposal) यूनिट्स और फॉरेंसिक टीमें हर इंच की जांच करती हैं. वे मलबे से बारूद, धातु के टुकड़े और सर्किट बोर्ड जैसे सबूत इकट्ठा करती हैं. इससे यह पता चलता है कि किस प्रकार का विस्फोटक इस्तेमाल किया गया और उसका स्रोत क्या था. विशेषज्ञ विस्फोट के पैटर्न का अध्ययन कर यह समझने की कोशिश करते हैं कि धमाका योजनाबद्ध था या आकस्मिक.

तीसरे चरण में खुलने लगते हैं राज

तीसरे चरण में IB, NIA, ATS और स्थानीय पुलिस मिलकर इंटेलिजेंस विश्लेषण करती हैं. वे सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन, बैंकिंग रिकॉर्ड और ट्रैवल डिटेल्स खंगालती हैं ताकि साजिश के पीछे का नेटवर्क उजागर हो सके. देश के अन्य हिस्सों में भी हाई अलर्ट जारी किया जाता है. इस दौरान अफवाहों को रोकने के लिए प्रशासन आधिकारिक बयान और हेल्पलाइन नंबर जारी करता है ताकि लोगों तक केवल प्रमाणित और सही जानकारी पहुंचे.

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