नेपाल से पहले इन देशों की संसद में घुसकर बवाल काट चुके हैं प्रदर्शनकारी, एक देश तो खुद को समझता है ‘दुनिया का बॉस’!

Nepal Parliament Protest 2025: यह पहली बार नहीं है जब किसी देश में प्रदर्शनकारियों ने संसद में प्रवेश किया हो। इतिहास में कई देशों में ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, आइए जानते हैं उनके बारे में।

Published by Ashish Rai

Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया पर लगी रोक के बाद उग्र विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। जहां हज़ारों युवा सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सड़कों पर उतर आए और संसद भवन में घुस गए। यह पहली बार नहीं है जब किसी देश में प्रदर्शनकारियों ने संसद में प्रवेश किया हो। इतिहास में कई देशों में ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, आइए जानते हैं उनके बारे में।

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ब्राज़ील

8 जनवरी, 2023 को ब्राजील में पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के हजारों समर्थकों ने पार्लियामेंट, राष्ट्रपति भवन और सर्वोच्च न्यायालय पर हमला बोल दिया था। प्रदर्शनकारी 2022 के आम चुनाव में बोल्सोनारो की हार को स्वीकार नहीं कर रहे थे, जिसमें लुईज़ इनासियो लूला दा सिल्वा को जीत मिली थी। बोल्सोनारो के समर्थकों ने दावा किया कि चुनाव में धांधली हुई थी, हालांकि कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

श्रीलंका

श्रीलंका में, 2022 में आर्थिक संकट के दौरान, प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुस गए। देश में लोग महंगाई और ईंधन की कमी से परेशान थे। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ गुस्सा इतना बढ़ गया कि लोगों ने पहले उनके सरकारी आवास पर कब्जा कर लिया और फिर संसद में घुसकर तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों ने सांसदों के दस्तावेज फेंक दिए और संसद की कुर्सियों पर कब्जा कर लिया। इस आंदोलन की वजह से राष्ट्रपति को देश छोड़कर फरार होना पड़ा।

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संयुक्त राज्य अमेरिका

संसद में घुसकर उपद्रव मचाने का सबसे चर्चित उदाहरण अमेरिका का है। 6 जनवरी, 2021 को हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने वाशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकी कैपिटल भवन में घुसकर तोड़फोड़ की। ये लोग 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से नाराज़ थे, जिसमें जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप को शिकस्त दिया था। ट्रंप के समर्थकों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था। गुस्साई भीड़ ने कैपिटल की सुरक्षा व्यवस्था तोड़ दी, खिड़कियाँ तोड़ दीं और सांसदों के कार्यालयों में घुस गए।

हांगकांग

हांगकांग में भी 2019 में प्रदर्शनकारियों ने विधानमंडल भवन में तोड़फोड़ की थी। ये लोग चीन के बढ़ते प्रभाव और एक विवादास्पद प्रत्यर्पण विधेयक के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। जुलाई 2019 में सैकड़ों युवाओं ने विधानमंडल भवन पर धावा बोल दिया, दीवारों पर नारे लिखे और राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुँचाया।

जॉर्जिया

जॉर्जिया में भी 2019 में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में प्रवेश किया था। जॉर्जियाई संसद के अध्यक्ष के रूप में एक रूसी सांसद की नियुक्ति से नाराज़ लोगों ने संसद पर धावा बोल दिया था। विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए। इसमें 240 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।

ताइवान

ताइवान में भी 2014 में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर हंगामा किया था। चीन के साथ व्यापार समझौते का विरोध कर रहे सैकड़ों छात्रों और कार्यकर्ताओं ने ताइवान की संसद पर कब्ज़ा कर लिया था।

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