Pregnancy Wheat Barley Test : आज के जमाने में टेक्नॉलॉजी इतनी आगे निकल गई है कि बहुत कुछ आसान हो गया है. जैसे कि आज के समय में अगर किसी लड़की के पीरियड्स मिस हो जाएं तो अगला तुरंत प्रेग्नेंसी किट मंगाकर चेक कर लेता है कि कहीं वो प्रेग्नेंट तो नहीं. इस किट की मदद से कुछ ही देर में पता चल जाता है और अगर इसमें कुछ रह जाता है तो अल्ट्रासाउंड कराने का भी ऑप्शन रहता है और फिर सब एक दम क्लियर हो जाता है.
लेकिन क्या आपके दिमाग में कभी ये बात आई है कि जब ये अल्ट्रासाउंट और प्रेग्नेंसी किट का ऑप्शन नहीं था तो तब लोग क्या करते थे, तब महिलाओं को ये कैसे पता चलता था कि वो प्रेग्नेंट है या नहीं. तो आइए जानते हैं उस समय की बात कि तब ये सब कैसे पता चलता था-
कई साल पहले भी होते थे प्रेग्नेंसी टेस्ट
भले ही पहले लोगों के पास ऐसी टेक्नॉलॉजी नहीं थी, लेकिन तब भी लोगों को सब पता होता था. पहले के जमाने में लोग जौ-गेहूं के दाने से प्रेग्नेंसी टेस्ट कर लेते थे और यहां तक की उस टेस्ट से ये भी साफ हो जाता था कि महिला को लड़का होगा या लड़की. ABP की रिपोर्ट की मानें तो- “न्यू किंगडम ऐसा के लिखित दस्तावेजों में इसका जिक्र है कि मिस्र में कई सौ साल पहले इस तरह के प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाते थे.”
क्या था टेस्ट करने का तरीका
लिखित दस्तावेजों के अनुसार, 1500 से 1300 BC तक की महिलाओं के प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए गेहूं और जौ का यूज किया जाता था. महिलाएं टेस्ट के लिए गेहूं या जौ के बैग में अपना पेशाब डालती थी और फिर थोड़ी देर बाद उस बैग को खोलकर देखते थे, अगर उस बैग में रखे जौ या गेहूं अंकुरित हो जाते थे तो ऐसा माना जाता थी कि महिला प्रेग्नेंट है और अगर ऐसा नहीं होता था तो इसका मतलब है कि महिला प्रेग्नेंट नहीं है.
क्या होने वाला है लड़का या लड़की
ABP की खबर के अनुसार अगर बैग में रखा हुए दोनों चीजों में से सिर्फ जौ के दाने अंकुरित होते थे तो इसका मतलब है कि लड़का होने वाला है और वहीं अगर गेंहू के दाने अंकुरित होते थे तो मतलब लड़की होने वाली है.