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Artificial Rain: आर्टिफिशियल रेन में भीगने पर आपके साथ क्या होगा? 28 अक्टूबर से पहले पढ़ लीजिए ये खबर

Artificial Rain: दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग होने जा रहा है. आइए जानते हैं की इस बारिश में नहाना सेहत पर क्या प्रभाव डालता है और पर्यावरण पर कैसे होगा असर?

By: Team InKhabar | Published: October 26, 2025 8:06:18 PM IST



Artificial Rain: वर्तमान में दिल्ली एनसीआर का वातावरण काफी गंभीर स्थिति में है,जहां हवा में प्रदूषक स्तर लगातार बढ़ रहा है. दिवाली के बाद से ही शहर की हवा जहरीली धुंध से भर गई है,जिससे सांस लेना भी मुश्किल हो गया है.इस संकट का समाधान खोजने के लिए सरकार ने एक नई तकनीक का सहारा लिया है,आर्टिफिशियल रेन या क्लाउड सीडिंग. इस प्रक्रिया का उद्देश्य हवा में मौजूद प्रदूषण को कम करना है, मगर सवाल यह है कि क्या अब बाहर जाना सुरक्षित है या नहीं? आइए इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि इससे जुड़ी सावधानियों का पालन क्यों जरूरी है.

क्लाउड सीडिंग का परिचय और इसके फायदे

क्लाउड सीडिंग एक ऐसी विधि है, जिसमें विशेष रसायनों का प्रयोग कर बादलों में बारिश कराई जाती है. इसमें विमान या ड्रोन के माध्यम से सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड, और कभी-कभी कार्बन डाइऑक्साइड जैसी रसायनों को बादलों में डाल दिया जाता है. इन रसायनों का मुख्य मकसद पानी की बूंदों को मिलाना और बारिश को प्रेरित करना है. इस तकनीक का उपयोग सूखे या प्रदूषित क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए किया जाता है.

क्या बारिश में नहाना सुरक्षित है?

आर्टिफिशियल बारिश में इस्तेमाल होने वाले रसायनों की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए सामान्यतः यह सुरक्षित माना जाता है. फिर भी संवेदनशील त्वचा, एलर्जी या सांस से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को इससे बचाव करना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति बारिश में भीगता है तो उसकी त्वचा में जलन, आंखों में जलन या सांस लेने में हल्की कठिनाई हो सकती है. विशेष रूप से, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी स्थिति वाले लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए.

पर्यावरण पर प्रभाव

क्लाउड सीडिंग में इस्तेमाल रसायनों का स्तर अत्यंत हल्का होता है, लेकिन उनकी अवशेष जल स्रोतों में मिल सकते हैं. यदि इन रसायनों का स्तर बहुत अधिक हो जाए, तो पीने का पानी भी असुरक्षित हो सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन रसायनों का स्वास्थ्य पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है, लेकिन यदि लंबे समय तक संपर्क रहता है, तो त्वचा में खुजली या आंखों में जलन जैसी समस्या हो सकती है. इसलिए, बारिश में भीगने के बाद शरीर को अच्छे से धोना जरूरी है.

क्या करें और क्या न करें?

अगर आप इस बारिश में बाहर निकले हैं, तो अपने शरीर को ढक कर रखें और छाता का प्रयोग करें. यदि भीग गए हैं, तो तुरंत अपने कपड़े बदलें और त्वचा को अच्छी तरह धो लें. यदि किसी भी तरह की परेशानी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सावधानी बरती जाए, तो यह तकनीक स्वास्थ्य के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं है. दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए सरकार की यह पहल नई उम्मीद जगा रही है. हालांकि, सावधानी और जागरूकता के साथ ही इस तकनीक का सही इस्तेमाल संभव है. जब भी आप बाहर जाएं, तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और जरूरी सुरक्षा उपाय अपनाएं. इससे आप खुद सुरक्षित रहेंगे और पर्यावरण में सुधार भी होगा.

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