Purani Dilli Story: दिल्ली 6! ये नाम तो हर किसी ने सुना होगा, ये एक ऐसा इलाका है जिसको हर कोई जनता है. इस इलाके को पुरानी दिल्ली भी कहा जाता है. इस इलाके की खासियत जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. खास बात ये है कि इस इलाके में हर एक रेस्टोरेंट शाही अंदाज में बना हुआ है और आज भी हर चीज में शाही अंदाज पाया जाता है. वहीं दिल्ली की पहचान प्राचीन सड़कों और गलियों से जुड़ी है. यहां कई ऐसी गलियां हैं, जिनके नाम अपने आप में बेहद दिलचस्प और हैरान कर देने वाले हैं. हर गली का नाम अपने पीछे एक अनोखी कहानी समेटे हुए है.
बुलबुली खाना
कहा जाता है कि यहां तीन बुलबुलें रहती थीं. हालाँकि आजकल यहाँ बुलबुलें नहीं दिखतीं, फिर भी लोग इन पक्षियों के दीवाने हैं. आपको छतों पर कबूतरों के झुंड ज़रूर दिख जाएँगे.
इमाम गली
कहा जाता है कि मुगल काल में शाही इमाम के पूर्वज दिल्ली आकर इसी गली में रहते थे. बाद में इमाम के परिवार के सदस्यों के नाम पर इस गली का नाम इमामिया या इमाम गली पड़ा.
भोजला पहाड़ी
पुरानी दिल्ली में भोजला पहाड़ी नाम की एक पहाड़ी हुआ करती थी. ऐसा माना जाता है कि इस पहाड़ी के ऊपर एक विशाल इमली का पेड़ हुआ करता था. आज न तो वह पेड़ बचा है और न ही वह पहाड़ी, लेकिन उस गली को आज भी पहाड़ी इमली के नाम से जाना जाता है. आज भी ज़्यादातर घरों के सामने जामुन, शहतूत, नीम और दूसरे पेड़ देखे जा सकते हैं.
भूतों वाली गली
लगभग 700 मीटर लंबी यह गली, जो नांगलोई फ्लाईओवर के नीचे मुख्य रोहतक रोड से शुरू होकर शमशान घाट रोड पर खत्म होती है, भूतों वाली गली के नाम से जानी जाती है. पहले यहाँ खेत हुआ करते थे और मज़दूर दिन भर काम करके कीचड़ से सने चेहरे के साथ लौटते थे. शाम ढलते ही उनके चेहरे भूतों जैसे लगने लगते थे. इसीलिए इस गली को यह नाम मिला. यह नाम गूगल स्ट्रीट व्यू पर भी सूचीबद्ध है.
मसालची गली
मसालची गली मुगल दरबार के शाही रसोइयों का घर हुआ करती थी. कुछ पुराने खानदानी रसोइये आज भी अपनी विरासत को संजोए हुए यहाँ रहते हैं. हालाँकि मुगल काल अब नहीं रहा, फिर भी यह गली मसालची गली के नाम से जानी जाती है.