हर साल भारत में हज़ारों लोग सांप के काटने का शिकार होते है. जिनमें से ज़्यादातर मामले गांव के इलाकों में होते है. इलाज में देरी समय पर जहर के टाइप की पहचान करने में मुश्किल और अस्पताल की दूरी ये सभी मौत का खतरा बढ़ाते है. अब इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए कर्नाटक में रिसर्चर्स ने सांप के जहर की पहचान करने के लिए एक रैपिड टेस्ट किट डेवलप की है. जो अगले दो महीन में उपलब्ध हो सकती है.
यह रैपिड टेस्ट किट एक क्विक डायग्नोस्टिक टूल है जो कुछ ही मिनटों में पता लगा सकता है कि सांप के काटने के बाद शरीर में जहर फैला है या नही? यह किट दिखने और इस्तेमाल में प्रेग्नेंसी टेस्ट किट जैसी है और इसके लिए किसी महंगी मशीनरी या लैब की जरूरत नही होती है.
यह टेस्ट किट कैसे काम करती है?
यह टेस्ट मरीज के खून की सिर्फ़ दो बूंदों से किया जाता है. रिजल्ट लगभग दो मिनट में मिल जाते है. अगर जहर मौजूद है, तो किट पर एक इंडिकेटर दिखाई देता है, जिससे डॉक्टर या हेल्थकेयर वर्कर तुरंत इलाज शुरू कर सकते है. इससे यह भी साफ हो जाता है कि मरीज को एंटीवेनम की जरूरत है या नहीं?
यह किट ग्रामीण इलाकों के लिए इतनी जरूरी क्यों है?
ग्रामीण इलाकों में अक्सर यह साफ नहीं होता कि सांप का काटना जहरीले सांप का था या नही? ऐसे मामलों में मरीज़ों को या तो देर से इलाज मिलता है या उन्हें बेवजह एंटीवेनम दिया जाता है, जो खतरनाक हो सकता है. यह रैपिड टेस्ट किट गलत इलाज के जोखिम को कम करेगी और यह पक्का करने में मदद करेगी कि सही मरीज को सही समय पर सही इलाज मिलें.
इसके अलावा यह किट प्राइमरी हेल्थ सेंटर एम्बुलेंस और दूरदराज के इलाकों में तैनात हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है.
इसे किसने बनाया?
यह टेस्ट किट कर्नाटक में रिसर्चर्स की एक टीम ने डेवलप की है. जो मुख्य रूप से बेंगलुरु में है. इस रिसर्च में कई साल लगे और सैकड़ों मरीज़ों पर टेस्टिंग के बाद इसे डेवलप किया गया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किट भारत जैसे देश के लिए बहुत जरूरी है, जहां सांप का काटना एक बड़ी पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम बनी हुई है. जान बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा.
एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर सांप के जहर की पहचान जल्दी हो जाती है, तो मौत का खतरा काफी कम किया जा सकता है. यही वजह है कि इस रैपिड टेस्ट किट को हेल्थकेयर में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. भविष्य में यह टेक्नोलॉजी हज़ारों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकती है.