Dawood Ibrahim Vs Karim Lala: सपनों की नगरी मुंबई को कहा जाता है लेकिन एक समय था, जब यहां अंडरवलर्ड का राज था। यहां गलियों में बच्चों की खिलखिलाहट नहीं बल्कि लोगों की चीख सुनाई देती थी। खून-खराबें यहां एक आम बात थी। रात तो क्या दिन दहाड़े लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। हालांकि आज इस मुंबई का चेहरा बिल्कुल बदल चुका है। लेकिन अगर आज से 30 साल पहले की मुंबई की बात करें, तो यहां का मंजर कुछ और ही था। लोगों की मन में खौंफ और सड़कों पर अपराधी बेखौंफ नजर आते थे। बॉलीवुड क्या यहां के बड़े-बड़े बिजनेसमैन का सीधा ताल्लुक डॉन के साथ होता था। जो डॉन के खिलाफ आवाज उठाता, उसे हमेशा-हमेशा के लिए खामोश होना पड़ता था।
मुंबई का डॉन नंबर 1
आज हम अंडरवर्ल्ड के उस सबसे बड़े डॉन की बात कर रहे हैं, जिसके नाम से लोग थर-थर कांपने लगते थे। डॉन दाऊद इब्राहिम अब दुनिया के किसी कौने में छुपकर बैठा हुआ है। लेकिन जब मुंबई में दाऊद का राज चलता था और लोग डर से उसके सामने माथा ठेकते थे, उस समय उसका भी एक बाप हुआ करता था। वह अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े डॉन दाऊद का भी बाप था। खुद दाऊद के उसके आगे पसीने छूट जाते थे। दरअसल उस डॉन का नाम करीम लाला था।
कौन था करीम लाला?
दाऊद और उसके गुर्गों करीम लाला के नाम से थर-थर कांपने लगते थे। वह लाला के इलाके में कदम रखने की जुर्रत तक नहीं करते थे। 70 के दशक में मुंबई पर कई माफिया और डॉन कब्जा करना चाहते थे। वह मुंबई को अपनी माशूका समझते थे। यह वह समय था जब करीम लाला की हुकूमत का डंका मुंबई के कोने-कोने में बजता था। इस समय लाला के टक्कर देने के लिए मस्तान व वरदराजन नाम के डॉन भी आए थे। उन्होंने करीम लाला के साथ मिलकर मुंबई को इलाकों में बांट दिया था। करीम लाला रॉबिनहुड टाइप का डॉन था और वह अपनी जुबान का एकदम पक्का माना जाता था।
कोठेवाली गंगूबाई को मानता था बहन
डॉन करीम लाला गंगूबाई काठियावाड़ी को अपनी बहन मानता था। जब गंगूबाई को उसके पति 500 रूपये में बेच दिया था तो करीम लाला ने ही उनकी मदद की थी। इस बात की जिक्र संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में भी किया है। करीम लाला पठान था, जुबान का पक्का होने का कारण बाकी डॉन उसकी इज्जत करते थे। मुंबई का एक और डॉन हाजी मस्तान उसके बारे में कहता था कि जुर्म और बादशाहत के मामले में करीम का कोई भी शानी हो ही नहीं सकता। करीम ही सही मामलों में असली डॉन है।
दाऊद को मार-मारकर कर दिया था अधमरा
एक बार तो दाउद और उसके गुर्गे क्लब में हंगामा कर रहे थे। इसके बाद करीम लाला ने पहुंचकर दाऊद को इतना मारा की वह खून से लथपथ हो गया। उसके शरीर में कई जगह चोटें तक आईं। करीम लाला और दाउद के बीच कई बार खूनी गैंगवार हुई। इसके बाद से मुंबई में गैंगवार का चलन चलने लगा। करीम लाला अफगानितान के कुनार का रहने वाला था। वह 21 साल में मुंबई आ गया था। जल्दी सफलता पाने की चाह में उसनें गैरकानूनी धंधों के रास्तें पर चलना शुरू कर दिया।