15 अगस्त 1947 –जब पूरा देश आज़ादी की खुशियों में डूबा था, उसी दिन पश्चिम बंगाल के रानाघाट में एक बच्ची ने जन्म लिया। नाम रखा गया राखी मजूमदार। किसे पता था कि ये लड़की एक दिन बॉलीवुड की सबसे सम्मानित अभिनेत्रियों में गिनी जाएगी।
कहते हैं राखी की ज़िंदगी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं। 16 साल की उम्र में शादी, 18 में तलाक… और फिर फिल्मों की दुनिया में कदम। शुरुआती संघर्ष के बाद 1970 के दशक में उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं, जिसमें– कभी कभी, कसमे वादे, लहू के दो रंग, कर्ज, जुर्माना और चालबाज़ जैसी ब्लॉकबस्टर्स में उनका अलग ही जलवा था।
फिल्मों में उनके किरदार कभी त्यागमयी मां, तो कभी मजबूत प्रेमिका और कभी बेबाक पत्नी के रूप में सामने आए। तपस्या में संजीदा और संवेदनशील रोल के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड मिला, तो दाग में उन्होंने सपोर्टिंग रोल में भी ऐसा असर छोड़ा कि लोग आज तक याद करते हैं।
मशहूर गीतकार और निर्देशक से की शादी
1973 में उन्होंने मशहूर गीतकार और निर्देशक गुलज़ार से शादी की। दोनों का रिश्ता ज्यादा समय तक साथ नहीं चला, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि आज भी उनका कानूनी तलाक नहीं हुआ। दोनों अलग रहते हैं, मगर एक-दूसरे के प्रति सम्मान और अपनापन बनाए रखते हैं। उनकी बेटी मेघना गुलज़ार आज के दौर की सफल निर्देशकों में से एक हैं।
राखी ने कब किया कमबैक
फिल्मों से लंबे समय तक दूर रहने के बाद राखी ने फिर से कमबैक किया, और 2024 में बंगाली फिल्म आमार बॉस में नजर आईं। लेकिन, असल में, उनकी जिंदगी अब फिल्मों से ज्यादा शांति में बीतती है। राखी मुंबई के पास पनवेल के फार्महाउस में रहती हैं, जहां सुबह चाय की चुस्की के साथ अखबार पढ़ना, बगीचे में घूमना, पालतू जानवरों की देखभाल और किताबों में डूब जाना उनकी रोज़मर्रा की कहानी है।
ऐसे जीती हैं जिंदगी
78 साल की उम्र में राखी का कहना है कि “ज़िंदगी में शोर-शराबा बहुत देखा, अब सुकून सबसे कीमती है।“ उनकी ये सादगी और गरिमा उन्हें बाकी सितारों से अलग बनाती है। राखी गुलज़ार सिर्फ एक ही अदाकारा नहीं, बल्कि वो चेहरा हैं, जिसने साबित किया कि फिल्मी चमक-दमक से दूर भी जिंदगी खूबसूरत हो सकती है, बस मन में सुकून होना चाहिए।

