मनोज कुमार और उनकी देशभक्ति फिल्मों की अमर कहानी
हिंदी सिनेमा में अगर देशभक्ति फिल्मों की बात की जाए, तो सबसे पहले जिस नाम की याद आती है, वह है मनोज कुमार। अपने समय के इस महान अभिनेता और फिल्मकार ने न सिर्फ पर्दे पर देशप्रेमी किरदार निभाए, बल्कि ऐसी फिल्में भी बनाई, जिनका असर आज भी लोगों के दिलों पर गहरा है। यही कारण है कि दर्शकों ने उन्हें प्यार से ‘भारत कुमार’ की उपाधि दी।
लाल बहादुर शास्त्री से मुलाकात और ‘उपकार’ का जन्म
साल 1965 में मनोज कुमार की फिल्म शहीद रिलीज हुई थी। भगत सिंह पर आधारित इस फिल्म में उनकी अदाकारी को खूब सराहा गया। दिल्ली में रखी गई एक विशेष स्क्रीनिंग में उस समय देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी शामिल हुए। शास्त्री जी ने फिल्म देखने के बाद मनोज कुमार से मुलाकात की और उनसे कहा कि वे “जय जवान जय किसान” के नारे पर एक फिल्म बनाएँ।
शास्त्री जी का मानना था कि सेना की वीरता तो हर कोई देखता है, लेकिन किसान की मेहनत और त्याग को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए। यही वजह थी कि उन्होंने मनोज कुमार को किसानों पर केंद्रित फिल्म बनाने का सुझाव दिया। इस मुलाकात ने अभिनेता के जीवन की दिशा ही बदल दी।
ट्रेन के सफर में लिखी कहानी
मनोज कुमार ने शास्त्री जी की सलाह को दिल से स्वीकार कर लिया। कहते हैं कि जब वे दिल्ली से मुंबई लौट रहे थे, तो ट्रेन की यात्रा के दौरान ही उन्होंने फिल्म की पूरी कहानी लिख डाली। मुंबई पहुँचने तक स्क्रिप्ट लगभग तैयार हो चुकी थी। यह कहानी बाद में ‘उपकार’ नाम की कालजयी फिल्म बनी।
किसानों की जिंदगी को समर्पित फिल्म
1967 में रिलीज हुई उपकार ने भारतीय सिनेमा में नई पहचान बनाई। फिल्म की कहानी एक आम किसान और उसके संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें दिखाया गया कि कैसे किसान अपनी मेहनत से देश का पेट भरते हैं और असल में वही भारत की रीढ़ हैं। फिल्म का प्रसिद्ध गीत “मेरे देश की धरती सोना उगले” आज भी देशभक्ति के हर मौके पर गाया जाता है और लोगों के दिलों में जोश भर देता है।
बॉक्स ऑफिस पर सफलता
उपकार का बजट उस समय केवल 1.40 करोड़ रुपये था, लेकिन इसने लगभग 7 करोड़ रुपये की कमाई की, जो उस दौर के हिसाब से ऐतिहासिक थी। दर्शक सिनेमाघरों में उमड़ पड़े और फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल की। अफसोस की बात है कि लाल बहादुर शास्त्री इस फिल्म को देखने के लिए जीवित नहीं रहे।
सम्मान और अवॉर्ड्स
मनोज कुमार की यह फिल्म केवल बॉक्स ऑफिस पर ही नहीं, बल्कि अवॉर्ड्स में भी छा गई। साल 1968 में उपकार को चार बड़े फिल्मफेयर अवॉर्ड्स मिले—
बेस्ट फिल्म
बेस्ट डायरेक्टर (मनोज कुमार)
बेस्ट स्टोरी
बेस्ट डायलॉग
इसके अलावा फिल्म ने मनोज कुमार की पहचान को और मजबूत किया ।
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