बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर (Kareena Kapoor) कभी भी नेपोटिज्म डिबेट से नहीं बचती हैं. उन्होंने हमेशा ये बात स्वीकार की है कि वो खुशनसीब हैं कि उनका जन्म फ़िल्मी फैमिली में हुआ जिससे उनके लिए रास्ते आसानी से खुल गए. हालाँकि बेबो ने ये कहा कि भले ही फ़िल्मी परिवार में जन्म लेने के उन्हें सौभाग्य मिला है लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में कोई भी अपने टैलेंट, कंसिस्टेंसी और ऑडियंस के स्वीकारने के बाद ही टिक सकता है.

हाल ही में एक इंटरव्यू में करीना ने एक बार फिर नेपोटिज्म पर अपने विचार रखे और कहा, नेपोटिज्म से डेब्यू हो सकता है लेकिन ये करियर नहीं बना सकता. जिंदगी भर के करियर की इससे गारंटी नहीं मिलती. ऑडियंस आपको स्वीकारती है या नहीं, पूरा खेल इस बात पर टिका है, आपके सरनेम पर नहीं.
बता दें कि करीना के कजिन आदर जैन ने भी हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में नेपोटिज्म पर बात करते हुए अपना दर्द जाहिर किया था. उन्होंने कहा था, लोग नेपोटिज्म डिस्कस करते हैं लेकिन मुझे इसका कोई फायदा नहीं मिला, मैं राज कपूर का ग्रैंडसन हूं, करीना और रणबीर मेरे कजिन हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मुझे हर साल पचास फिल्मों के ऑफर मिल रहे हैं और मैं लगातार ब्रांड डील्स और एंडोर्समेंट साइन कर रहा हूं. दुर्भाग्य से इस तरह से मैं नेपोटिज्म का प्रोडक्ट नहीं हूं.

करीना कपूर का वर्कफ्रंट
बता दें कि करीना बॉलीवुड के सबसे बड़े कपूर खानदान में पैदा हुई हैं. वह एक्टर रणधीर कपूर की बेटी हैं. उनकी मां बबिता भी एक्ट्रेस रह चुकी हैं. बहन करिश्मा ने भी फिल्म इंडस्ट्री में काफी नाम कमाया है. करीना ने साल 2000 में अभिषेक बच्चन के अपोजिट ‘रिफ्यूजी‘ से बॉलीवुड में कदम रखा था और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. करीना की पिछली फिल्म रोहित शेट्टी की सिंघम अगेन थी. जल्द ही उन्हें नेटफ्लिक्स की डाक्यूमेंट्री ‘डाइनिंग विद द कपूर्स‘ में देखा जाएगा जिसमें कपूर खानदान की कई इंट्रेस्टिंग बातें सामने निकलकर आएंगी.