Rati Agnihotri: सिनेमा हमेशा समाज का प्रतिबिंब रहा है. कभी-कभी कुछ फिल्में इतनी असरदार होती हैं कि वे लोगों के दिल और दिमाग पर लंबे समय तक असर छोड़ जाती हैं. 1981 में आई ऐसी ही एक लव ड्रामा फिल्म थी जिसने अपनी कहानी और क्लाइमैक्स से लोगों के दिलों को छू लिया.
5 जून 1981 को रिलीज हुई फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ कमल हासन की बॉलीवुड में पहली फिल्म थी. फिल्म में कमल हासन और रति अग्निहोत्री मेन रोल में थे. के. बालाचंदर के निर्देशन में बनी ये फिल्म उनकी तेलुगु फिल्म ‘मारो चरित्र’ (1978) का हिंदी रीमेक थी. कमल और रति की एक्टिंग ने लोगों का दिल जीत लिया और ये उनकी सबसे यादगार फिल्मों में शामिल हो गई.
बॉक्स ऑफिस पर उम्मीदों से परे सफलता
शुरुआत में मेकर्स को फिल्म से ज्यादा उम्मीद नहीं थी. उन्हें लगा था कि ये बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं होगी. यहां तक कि फिल्म के डिस्ट्रिब्यूटर्स भी नहीं मिल रहे थे. अंततः प्रोड्यूसर ने खुद इसे डिस्ट्रिब्यूट किया.
लेकिन जब फिल्म सिनेमाघरों में आई, तो थिएटर लोगों से भर गए. फिल्म की कहानी और खासकर इसका क्लाइमैक्स लोगों को भावनात्मक रूप से गहराई तक प्रभावित कर गया. कई लोग इसे देखकर आंसू पोछते भी नजर आए.
वासु और सपना की प्रेम कहानी
फिल्म की कहानी वासु (कमल हासन) और सपना (रति अग्निहोत्री) के इर्द-गिर्द घूमती है. दोनों अलग-अलग परिवारों से आते हैं और एक-दूसरे को दिल दे बैठते हैं. फिल्म में ये जोड़ा कई कठिनाइयों का सामना करता है और अंततः वे एक साथ जीवन को अलविदा कह देते हैं. फिल्म का क्लाइमैक्स वासु और सपना के चट्टान से कूदने और उनके दुःख भरे नोट के साथ समाप्त होता है.
विवाद और सुसाइड का मामला
फिल्म की रिलीज के बाद ये विवादों में घिर गई. कथित रूप से फिल्म देखने के बाद कई प्रेमी जोड़े आत्महत्या करने लगे थे. फिल्म का ट्रैजिक एंडिंग रियल लाइफ प्रेमी जोड़ों पर इतना असर डाल गया कि आत्महत्या के मामले बढ़ गए.
सरकारी संगठन भी इस मामले में शामिल हुए और मेकर्स से आत्महत्या के खिलाफ जागरूकता फैलाने में मदद की मांग की. इस दौरान 16 साल की रति अग्निहोत्री को नकारात्मक विवादों से दूर रखने के लिए उनके पिता मौजूद रहे.
हैप्पी एंडिंग का प्रयास
सुसाइड के मामलों के बढ़ने के बाद, के. बालाचंदर ने फिल्म का एक और वर्जन हैप्पी एंडिंग के साथ रिलीज किया. लेकिन जनता की मांग के कारण उन्होंने ओरिजिनल ट्रैजिक एंडिंग ही बरकरार रखी. फिल्म को रिलीज करने से पहले बालाचंदर ने इसे अपने आदर्श राज कपूर को दिखाई. राज कपूर ने फिल्म की कहानी की तारीफ की, लेकिन एंडिंग से वे भी खुश नहीं थे और उन्होंने हैप्पी एंडिंग का सुझाव दिया था.
फिल्म में माधवी, रजा मुराद और राकेश बेदी ने सहायक भूमिकाएं निभाई थीं. इनका अभिनय भी कहानी को मजबूती प्रदान करता है.