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90 के दशक के दो बॉलीवुड अभिनेता: हीरो के रूप में असफल, लेकिन विलेन बनकर छा गए

Bollywood Actor: 1990 का दशक बॉलीवुड के लिए सितारों से भरा दौर था. इसी दौर में कई स्टार किड्स और प्रतिभाशाली अभिनेता लॉन्च हुए, लेकिन हर कोई लंबे समय तक बतौर हीरो टिक नहीं पाया. कुछ कलाकार ऐसे भी रहे जो लीड हीरो के रूप में खास पहचान नहीं बना सके, लेकिन समय के साथ उन्होंने अपने करियर की दिशा बदली और विलेन या नेगेटिव किरदारों में ऐसी छाप छोड़ी कि पूरी फिल्म पर ही भारी पड़ गए. इस सूची में बॉबी देओल और अक्षय खन्ना का नाम सबसे ऊपर आता है.

By: Shivi Bajpai | Last Updated: December 13, 2025 3:07:48 PM IST



Bollywood Actor: 1990 का दशक बॉलीवुड के लिए सितारों से भरा दौर था. इसी दौर में कई स्टार किड्स और प्रतिभाशाली अभिनेता लॉन्च हुए, लेकिन हर कोई लंबे समय तक बतौर हीरो टिक नहीं पाया. कुछ कलाकार ऐसे भी रहे जो लीड हीरो के रूप में खास पहचान नहीं बना सके, लेकिन समय के साथ उन्होंने अपने करियर की दिशा बदली और विलेन या नेगेटिव किरदारों में ऐसी छाप छोड़ी कि पूरी फिल्म पर ही भारी पड़ गए. इस सूची में बॉबी देओल और अक्षय खन्ना का नाम सबसे ऊपर आता है.

बॉबी देओल: रोमांटिक हीरो से खतरनाक विलेन तक

बॉबी देओल ने 1995 में फिल्म बरसात से धमाकेदार एंट्री की थी. फिल्म हिट रही और उन्हें बेस्ट डेब्यू का अवॉर्ड भी मिला. गुप्त, करीब और बादल जैसी फिल्मों में उन्होंने बतौर हीरो काम किया, लेकिन लगातार फ्लॉप फिल्मों ने उनके करियर की रफ्तार धीमी कर दी. समय के साथ वह लीड हीरो की दौड़ से बाहर होते चले गए.

लेकिन असली बदलाव तब आया जब बॉबी देओल ने नेगेटिव और ग्रे शेड्स वाले किरदार स्वीकार किए. रेस 3 और खासकर वेब सीरीज़ आश्रम में उनके बाबा निराला के किरदार ने दर्शकों को चौंका दिया. शांत चेहरे के पीछे छुपी क्रूरता, चालाकी और सत्ता की भूख को उन्होंने इतने दमदार तरीके से निभाया कि वह पूरी कहानी का केंद्र बन गए. बतौर विलेन बॉबी देओल ने खुद को दोबारा स्थापित कर लिया और साबित किया कि सही किरदार अभिनेता की किस्मत बदल सकता है.

अक्षय खन्ना: अंडररेटेड हीरो, लेकिन शानदार विलेन

अक्षय खन्ना ने 1997 में हिमालय पुत्र से डेब्यू किया. ताल, दिल चाहता है और हंगामा जैसी फिल्मों में उन्होंने अलग-अलग तरह के किरदार निभाए, लेकिन वह कभी भी मास हीरो नहीं बन पाए. उनका शांत स्वभाव और अलग अंदाज़ उस दौर के कमर्शियल हीरो की छवि से मेल नहीं खाता था.

हालांकि, जब अक्षय खन्ना ने नेगेटिव और इंटेंस रोल्स की ओर रुख किया, तो दर्शकों और समीक्षकों ने उनकी असली काबिलियत को पहचाना. रेस, इत्तेफाक, दृश्यम 2 और सेक्शन 375 जैसी फिल्मों में उनके विलेन या ग्रे किरदार इतने मजबूत थे कि वे बड़े-बड़े सितारों पर भारी पड़े. उनकी आंखों की ठंडक, संवाद अदायगी और माइंड गेम खेलने वाला अंदाज़ उन्हें एक खतरनाक ऑन-स्क्रीन विलेन बनाता है.

बॉबी देओल और अक्षय खन्ना की कहानी यह साबित करती है कि असफलता अंत नहीं होती. हीरो के रूप में भले ही वे पीछे रह गए, लेकिन विलेन बनकर उन्होंने न सिर्फ वापसी की, बल्कि फिल्मों की जान भी बन गए. आज दोनों ऐसे कलाकार हैं, जिनका नाम आते ही दमदार अभिनय की उम्मीद की जाती है.

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