Who is Mayoori Kango : 90 के दशक के म्यूजिक लवर्स के दिलों में आज भी एक गाना गूंजता है – ‘घर से निकलते ही…‘. इसी गाने के साथ एक मासूम सी, नीली आंखों वाली लड़की ने सभी का ध्यान खींचा था. जिसका नाम था मयूरी कांगो. फिल्म ‘पापा कहते है’ भले ही बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर सकी, लेकिन मयूरी के रोल और उनकी मौजूदगी ने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी.
मयूरी कांगो का फिल्मी सफर किसी प्लान का हिस्सा नहीं था, बल्कि ये तो किस्मत की एक प्यारी सी करवट थी. थिएटर से जुड़े परिवार की इस होनहार बेटी का फिल्मों में आना तब हुआ, जब वो अपनी मां से मिलने मुंबई आई थीं. यहां उनकी मुलाकात निर्देशक सईद अख्तर मिर्जा से हुई, जिन्होंने मयूरी को अपनी फिल्म ‘नसीम‘ के लिए ऑफर दिया. बोर्ड परीक्षाएं सिर पर थीं, मगर मयूरी ने रोल को स्वीकार की और इसी फिल्म ने बाद में दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते.
IIT को कहा अलविदा, चुनी थी फिल्मी राह
बहुत कम लोग जानते हैं कि मयूरी को IIT कानपुर में एडमिशन मिल चुका था. मगर जब बॉलीवुड ने दस्तक दी, तो उन्होंने इस अवसर को पीछे छोड़ कर कैमरे के सामने आने का फैसला किया. ये फैसला बहुत साहसी था.
मयूरी ने ‘होगी प्यार की जीत’, ‘जंग’ और तेलुगु फिल्म ‘वंसी‘ जैसी कई फिल्मों में काम किया, जहां उन्होंने अजय देवगन, संजय दत्त और महेश बाबू जैसे सितारों के साथ स्क्रीन शेयर की. लेकिन शादी के बाद 2003 में उन्होंने ग्लैमर वर्ल्ड से दूरी बना ली और NRI आदित्य ढिल्लों के साथ अमेरिका जा बसीं. 2011 में उनके बेटे का जन्म हुआ और यहीं से उनकी जिन्दगी ने एक नया मोड़ लिया.
बेटे ने बदली जिंदगी
एक्टिंग को अलविदा कहने के बाद मयूरी ने कॉर्पोरेट दुनिया में अपनी एक नई पहचान बनाई. उन्होंने सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क – बरूच कॉलेज से MBA किया और धीरे-धीरे खुद को एक प्रोफेशनल के रूप में स्थापित किया.
भारत वापसी के बाद उन्होंने गुरुग्राम को अपना घर बनाया और Publicis Groupe से जुड़कर अपनी प्रोफेशनल यात्रा को फिर से गति दी. 2019 में उन्होंने Google India में इंडस्ट्री हेड के रूप में काम संभाला और इसके बाद एक बार फिर Publicis Groupe में लौटीं – इस बार वो Chief Executive Officer, Global Delivery के रूप में हैं.
प्रेरणा की मिसाल बनी मयूरी
मयूरी कांगो की कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस की नहीं है, ये उस महिला की कहानी है जो सपनों के पीछे दौड़ी, जिन्होंने हर मोड़ पर अपने फैसलों को पूरे कॉन्फिडेंस से जिया. फिल्मी चमक-दमक से कॉर्पोरेट दुनिया की ऊंचाइयों तक उनकी यात्रा आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है – कि जिन्दगी में रास्ते बदल सकते हैं, पर सफलता पाने की ललक अगर हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं.