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71st National Film Awards: बिग-बजट फिल्मों को धूल चटाकर ‘कटहल’ ने जीता बेस्ट हिंदी फिल्म का नेशनल अवार्ड, आखिर क्या है इसमें खास?

71st National Film Awards: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आज, 1 अगस्त को, वर्ष 2023 के लिए भारतीय सिनेमा में उत्कृष्टता को मान्यता देने वाले 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की आधिकारिक घोषणा की गई। शीर्ष सम्मानों में, 'कटहल: अ जैकफ्रूट मिस्ट्री' को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।

By: Deepak Vikal | Last Updated: August 1, 2025 7:22:09 PM IST



Kathal Movie: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आज, 1 अगस्त को, वर्ष 2023 के लिए भारतीय सिनेमा में उत्कृष्टता को मान्यता देने वाले 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की आधिकारिक घोषणा की गई। शीर्ष सम्मानों में, ‘कटहल: अ जैकफ्रूट मिस्ट्री’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। सान्या मल्होत्रा, राजपाल यादव और विजय राज स्टारर यह फिल्म कॉमेडी फिल्म वास्तविक सामाजिक मुद्दों को उजागर करने के लिए हास्य का उपयोग करती है और अपनी ताज़ा कहानी और दमदार अभिनय से सभी को प्रभावित करती है। इसकी जीत दर्शाती है कि दर्शक और आलोचक अब सार्थक और विषय-वस्तु से भरपूर हिंदी फिल्मों को पहले से कहीं अधिक महत्व दे रहे हैं।

आइए जानते हैं कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या था जो यह फिल्म सारी बड़ी बजट की फिल्मों को मात देकर सबसे आगे निकल गई।

कटहल में पुलिसकर्मियों की छवि

कथल फिल्म में पुलिसकर्मियों को बिल्कुल वैसा ही दिखाया गया है जैसा ज़मीनी स्तर पर असल में होता है। अगर आप पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने जाते हैं, तो पुलिस आपके साथ जिस तरह का व्यवहार करती है, मामले को हल्के में लेना, नज़रअंदाज़ करना या फिर मासूम जनता को चक्कर लगवाना, ये सब आम बात है।

अब इससे ज़्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि फिल्म में जब माली अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराने जाता है, तो उसकी पूरी तरह से अनदेखी कर दी जाती है, वहीं दूसरी ओर उसी माली के मालिक का खोया हुआ कटहल पुलिसवालों के लिए सिरदर्द बन जाता है। यहाँ उनकी प्राथमिकता साफ़ देखी जा सकती है।

विधायकों का दबदबा

कहते हैं कि कोई भी साधारण आदमी सत्ता में नहीं आ सकता। समाज में इसके लिए मानक तय हैं। शैक्षणिक योग्यता का कोई मानदंड नहीं है। अगर कोई मानदंड है, तो वो ये है कि आप समाज में कितने प्रभावशाली हैं। आप कैसे दबदबा बनाते हैं। अगर आप इस फिल्म में दिखाए गए विजय राज के किरदार को असल ज़िंदगी में देखें, तो हैरान मत होइए।

देश भर में हर रोज़ न जाने कितने मासूमों पर अत्याचार होते हैं। छोटी-मोटी चोरी या छिनैती तो आम बात है। लेकिन एक आम आदमी जानता है कि पुलिस स्टेशन में एफ़आईआर दर्ज करवाने के लिए उसे कितनी मुश्किलों से गुज़रना पड़ता है। लेकिन अगर कोई बड़ा नेता शिकायत लेकर आता है, तो उसके मामले पर तुरंत कार्रवाई होती है।

मीडिया पर तंज

फिल्म में राजपाल यादव ने एक न्यूज़ रिपोर्टर की भूमिका निभाई है। इस फिल्म में जिन अहम मुद्दों पर प्रहार किया गया है, उनमें मीडिया भी शामिल है। इस दौर में मीडिया को जिस तरह से कवर किया जा रहा है और जिन मुद्दों को प्राथमिकता दी जा रही है, वह आम लोगों से छिपा नहीं है। राजपाल यादव का किरदार दुनिया की बड़ी खबरों को भी पीछे छोड़कर एक विधायक के चाचा होंग कटहल के लापता होने को सनसनी बना देता है।

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किस निर्देशक ने बनाई है फिल्म?

फिल्म कटहल निर्देशक यशोवर्धन मिश्रा ने बनाई है। उन्होंने अपने अब तक के करियर में ज़्यादा फिल्में नहीं बनाई हैं, लेकिन करियर की शुरुआत में ही उन्होंने हल्के-फुल्के मनोरंजन के साथ लोगों को समाज का आईना दिखाया है। फिल्म के ज़रिए उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। फैन्स इस फिल्म को खूब पसंद कर रहे हैं और इसकी तारीफ़ करते नज़र आ रहे हैं। कटहल फिल्म एक व्यंग्य है जिसमें वो सब कुछ है जो समाज में हो रहा है और पिछले कई दशकों से होता आ रहा है।

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