Consuction Worker Cracks NEET: खुर्दा जिले के मुदुलिधिया गाँव के एक गरीब आदिवासी परिवार के रहने वाले 19 वर्षीय शुभम सबर ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिससे जान आपके भी होश उड़ जाएंगे। असल में मजदूरी करने वाले शुभम सबर ने NEET परीक्षा पास कर ली है और उन्हें ओडिशा के बरहामपुर स्थित मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दाखिला पा लिया है। शुभम ने अपने पहले ही प्रयास में अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में 18,212वीं रैंक हासिल की।
ओडिशा के खुर्दा ज़िले के मुदुलिधिया गाँव के एक छोटे किसान के बेटे, सबर चार भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। जिंदगी मुश्किल थी और आर्थिक हालात हमेशा तंग रहते थे थोड़े से पैसे से बहुत काम चलाना पड़ता था, यह बात वह कभी नहीं भूले। और अपनी मेहनत से NEET परीक्षा पास कर ली।
मजदूरी कर भरी एडमिशन फीस
शुभम सबर कहते हैं, “मैंने 12वीं के बाद एक साल तक NEET परीक्षा की तैयारी की… हमारे पास पैसे नहीं थे, और न ही यहां हमें इतना काम मिलता था कि एडमिशन फीस भर सकें। इसलिए मुझे बेंगलुरु काम करने जाना पड़ा।
मैंने वहां तीन महीने मजदूरी की। जो पैसे मैंने कमाए, उनसे एडमिशन फीस भरी… जब रिज़ल्ट आया, तो मेरे टीचर ने मुझे फोन किया और पूछा, ‘मिठाई कहाँ है?’… मेरी सफलता का कारण मेरे टीचर द्वारा बनाए गए टाइमटेबल का पालन करना है…”
शुभम ने कहा कि, मैं अपनी आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ था। मेरे माता-पिता के पास ज़मीन का एक छोटा सा टुकड़ा था और वे हमें पालने के लिए कड़ी मेहनत करते थे। लेकिन मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखने और जिंदगी में कुछ करने की ठान ली थी।
#WATCH | Shubham Sabar, a 19-year-old man from a poor tribal family living in Mudulidhiah village of Khurda district, has cleared the NEET exam and secured admission to the Medical College and Hospital in Odisha’s Berhampur. pic.twitter.com/TeF4HVeIdJ
— ANI (@ANI) August 31, 2025
दसवीं में आए 84 प्रतिशत अंक
जब उन्होंने दसवीं कक्षा में 84 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, तो उनके शिक्षकों ने उन्हें भुवनेश्वर के बीजेबी कॉलेज से ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने का सुझाव दिया। वहाँ उन्होंने पहले साल खुद पढ़ाई की, लेकिन दूसरे साल गणित और रसायन विज्ञान की ट्यूशन ली और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 64 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।
इसी दौरान उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला किया और बरहामपुर के एक सेंटर में नीट की कोचिंग ली। नीट की परीक्षा देने के बाद, वह बेंगलुरु चले गए।
उन्होंने कहा “मैंने वहाँ लगभग तीन महीने काम किया और कुछ पैसे बचा लिए। इसका कुछ हिस्सा मैंने अपनी कोचिंग और कुछ हिस्सा एमबीबीएस में दाखिले के लिए इस्तेमाल किया”।
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