Delhi News: हम देशवासियों के लिए समोसा क्या है? ये बताने की जरूरत नहीं है. ये नाश्ता है चाय के साथ नाश्ता है और कुछ लोगों के लिए तो ये प्यार है. सुबह हो या शाम तेल से सने बड़े से तवे से निकलते गरमागरम समोसे… ओह हो हो हो… बस इसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. उसके साथ चटनी तो लाजवाब होती है. अगर हम आपसे आपके द्वारा खाए जाने वाले समोसे की असली कीमत पूछें तो आप शायद 10 या 20 रुपये कहेंगे. लेकिन एक हृदय रोग विशेषज्ञ की नजर से देखें तो इसकी कीमत 3 लाख रुपये हो सकती है. चौंक गए न? जिस समोसे का आप लुत्फ उठा रहे हैं. वो न सिर्फ़ आपको संतुष्टि दे रहा है, बल्कि दिल की बीमारी भी पैदा कर रहा है, जिसकी कीमत ऊपर बताई गई है.
डॉ. शैलेश सिंह ने बताया
दिल्ली के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेश सिंह ने ऑनलाइन एक विचारोत्तेजक पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट में डॉक्टर अस्वास्थ्यकर आदतों के पीछे के गणित को समझाते है. यह एक कठोर सच्चाई है जिसके बारे में लोगों को पता ही नहीं था कि उन्हें इसकी जरूरत है. उनकी मज़ेदार स्वास्थ्य चेतावनी अब सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर वायरल हो गई है.
Office canteen samosa: ₹20
Angioplasty: ₹3 lakhsSamosas per year: 300
Years of eating: 15
Total samosa cost: ₹90,000You’re not saving money on unhealthy food.
You’re taking a loan against your arteries at 400% interest.— Dr Shailesh Singh (@drShaileshSingh) October 23, 2025
डॉ. सिंह ने बताया कि ऑफिस में एक औसत समोसा 20 का होता है. अगर कोई इसे नियमित रूप से साल में 300 बार 15 साल तक खाता है. तो वह लगभग 90,000 खर्च करता है. हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि यह असली कीमत नहीं है. उन्होंने लिखा, “आप अस्वास्थ्यकर भोजन पर पैसे नहीं बचा रहे हैं, आप अपनी धमनियों पर 400% ब्याज दर पर कर्ज़ ले रहे हैं.”
डॉक्टर आगे कहा
डॉक्टर यहीं नहीं रुके उन्होंने उन अनगिनत बहानों की ओर भी इशारा किया जो लोग अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को टालने के लिए बनाते हैं. जैसे किसी प्रोजेक्ट के खत्म होने के बाद या सेवानिवृत्ति के बाद इसे टालना और समझाया कि शरीर हमारे कैलेंडर के खाली होने का इंतज़ार नहीं करता. उनका संदेश सरल फिर भी दिल से था. जब तक आप स्वस्थ रहने की योजना बनाते हैं. जीवन नहीं रुकेगा.
उन्होंने आगे बताया कि कैसे मुश्किल आदतें अगर आप उन पर टिके रहें तो रोजमर्रा की जरूरतें बन सकती है. उन्होंने कहा कि चलने का पहला हफ़्ता दर्द भरा लग सकता है. लेकिन 52वें हफ़्ते तक चलना छोड़ना गलत लगने लगेगा. उन्होंने अपने अनुयायियों को याद दिलाया “जिस दर्द से आप बच रहे हैं, वह सात दिन तक रहता है. पछतावा हमेशा रहता है. अपनी मुश्किलें खुद चुनें.”