Diwali: दिवाली पर लोगों ने जमपर पटाखे फोड़े जिसके बाद दिल्ली की हवा बहुत खराब हो गई है. वायु गुणवत्ता फिर से एक बार खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुका है. सुबह के समय जब दिल्ली के लोग इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब श्रेणी आ चुका है. जो सेहत के लिए काफी नुकसान दायक है. इस बार सबसे ज्यादा AQI चाणक्य प्लेस में किया गया है. जहां AQI 979 तक पहुंचा. उसके बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स आने वाले समय में ऐसा ही रहा तो बच्चों और बुजुर्गों के साथ ही स्वस्थ व्यक्ति की सेहत पर भी जोरदार असर पड़ेगा. आज हम आपको बतायेंगे कि ऐसा क्या है कि वायु प्रदुषण के साथ हवा में घुलने वाली खतरनाक जहरीले कण जिसके बाद अब भारत में मौत का दूसरा बड़ा कारण बनने लगा है.
पूरी दुनिया अब धीरे-धीरे एक ऐसा संकट की ओर बढ़ते जा रही है. जहां सांस लेना भी एक बीमारी बन गया है. ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2024’ के अनुसार वायु प्रदुषण अब दुनिया भर में हर आठवीं मौत का कारण बन चुका है. 2021 में जहरीली हवा ने 81 लाख लोगों की जान ले ली. इसका मतलब ये है कि वायु प्रदूषण के कारण तंबाकू से ज़्यादा मौतें हुई है. इसी साल तंबाकू के कारण 75 से 76 लाख लोगों की मौत हुआ है. इसका साफ मतलब है कि जिस हवा में हम हर पल सांस लेते है. वही मौत का सबसे खतरनाक कारण बन गया है.
भारत में अब तंबाकू से ज्यादा हवा ले रही जान
भारत इस संकट का केंद्र बन चुका है. तंबाकू से ज्यादा हर साल लगभग 10 लाख लोग मरते है. जबकि वायु प्रदुषण में इसकी संख्या दोगुना करके 21 लाख तक पहुंच गया है. इसका मतलब है कि हर महीने लगभग 175000 लोग और लगभग 5700 लोग हर दिन इस खामोश हत्यारे का शिकार हो रहे है. 2021 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण पांच साल से कम उम्र के 169000 बच्चों की मौत हुई है. जो कि दुनिया में सबसे ज़्यादा है. नाइजीरिया दूसरे स्थान पर रहा जहां 1.14 करोड़ बच्चों की मौत हुई, है जबकि पाकिस्तान में 68,000 बच्चे मारे गए है.
दिल्ली में सांस लेना भी मुशिकल
जनवरी 2024 के एक अध्ययन से पता चला है कि भारत मे दुनिया में PM2.5 की सांद्रता सबसे ज़्यादा बन गई है. जिसमें दिल्ली सबसे आगे है. सर्दियों के दौरान घर के अंदर की हवा बाहरी हवा से लगभग 41% ज़्यादा प्रदूषित पाई गई है. लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि शहरों में रहने वाले धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाने में वायु प्रदूषण भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है. दिल्ली में वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव से हर रोज 12,000 से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है.