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दिल्ली की तितारपुर ‘रावण मंडी’: जहां बसता है लंकापति

दिल्ली की तितारपुर मंडी (Titarpur Mandi) अपने आप में ही बेहद अनोखी है. यहां आपको 2 फुट से लेकर 70 फुट तक के रावण के पुतले (Ravana's Effigies) बनते हुए देखने को मिलेंगे.

By: DARSHNA DEEP | Published: September 30, 2025 5:30:15 PM IST



Ravan Ki Mandi: आपमें से बहुत कम लोगों को यह पता होगी की राजधानी दिल्ली की तितारपुर मंडी को एशिया की सबसे बड़ी पुतला मार्केट भी कहा जाता है. खास तौर से दहशरा  के अवसर पर इस मंडी में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. जानकारी के मुताबिक यह वेस्ट दिल्ली का वो इलाका है जहां छोटे-बड़े, रंग-बिरंगे दो फुट से लेकर 70 फुट तक के रावण कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाए जाते हैं. यह मंडी टेगौर गार्डन मेट्रो से राजौरी गार्डन तक लगभग एक किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिससे पूरा इलाका ‘रावण राज’ जैसा दिखता है.

50 साल पुरानी कला की कहानी 

तितारपुर वैसे तो शादी-ब्याह के बैंड मार्केट के लिए भी जाना जाता है, लेकिन दशहरे से ठीक पहले यह पुतला-निर्माण का केंद्र बन जाता है. यह जानकर आप हैरान हो जाएंगे की इस परंपरा की शुरुआत लगभग 50 साल पहले एक ‘रावण वाले बाबा’ ने की थी. 

रावण बनाने की प्रक्रिया है खास

सबसे पहले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से लचीले बांस लाए जाते हैं. जिसके बाद बांस की छिलाई-कटाई करके सिर, छाती और घाघरा को अलग-अलग आकार दिया जाता है. उसके बाद पुतले को कपड़े पहनाए जाते हैं और फिर आखिरी में  रंग-बिरंगे पेपर लगाकर डिज़ाइनिंग का मेकअप किया जाता है, इसके बाद लंकापति दहन के लिए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला दहन के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है. 

ग्राहकों की क्रिएटिविटी होती है शामिल

आजकल ग्राहक पुतलों में स्पेशल इफेक्ट्स की भी मांग करते हैं, जैसे कि बम-फुलझड़ी और रॉकेट लगाना. हालांकि, कारीगर तो रावण का बेसिक मॉडल ही तैयार करते हैं; लेकिन अन्य क्रिएटिविटी दिखाना सिर्फ खरीदार की मर्जी पर ही निर्भर करता है. 

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