Bihar Election: 1,300 किलोमीटर कांग्रेस की 14 दिवसीय, लंबी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ (Voter Adhikar Yatra) सोमवार को राजधानी पटना में पूरी होगी। इस यात्रा में विपक्ष नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ INDIA ब्लॉक नेता शामिल होंगे। यह यात्रा राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले महत्वपूर्ण हो चुके राजनीतिक घटनाक्रम का परिणाम होगा।
यात्रा में शामिल नेता
‘गांधी-अंबेडकर’ यात्रा में शामिल होने वाले नेताओं में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, RJD नेता तेजस्वी यादव, CPI(ML) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, CPI महासचिव डी राजा, CPI(M) महासचिव एम ए बेबी, शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत, NCP की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और TMC नेता यूसुफ पठान और ललितेश त्रिपाठी शामिल हैं।
यात्रा का समय और प्रक्रिया
बिहार कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख राजेश राठौर ने संवाददाताओं को बताया, “विशाल ‘गांधी से अंबेडकर’ यात्रा ऐतिहासिक गांधी मैदान से सुबह 11:15 बजे शुरू होगी, जहाँ महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। इसके बाद, यह यात्रा एसपी वर्मा रोड, डाक बंगला चौराहा, कोतवाली थाना, नेहरू पथ, आयकर गोलचक्कर होते हुए पटना उच्च न्यायालय के पास भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा तक पहुंचकर वरिष्ठ विपक्षी दल के नेता जनसभा को संबोधित करने से पहले अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।” यह यात्रा राज्य के 38 जिलों में से 25 के 110 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुज़री।
महागठबंधन की यात्रा पर बिहार मंत्री की आलोचना
बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन ने ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ पर कहा, “…उन्होंने (INDIA गठबंधन) गांधी मैदान में रैली करने की अनुमति मांगी थी। 20 तारीख को आवेदन दिया गया, 23 तारीख को आवेदन स्वीकार कर लिया गया लेकिन गांधी मैदान में रैली करने की उनकी हिम्मत नहीं हुई…”
मंत्री ने आगे कहा, “जब संख्या बल नहीं जुट रहा था तो रैली को जुलूस में बदल दिया गया ताकि उनकी प्रतिष्ठा बच सके और असलियत छिप सके… अगर इतना अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा था तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव अपनी प्रस्तावित रैली से पीछे क्यों हट गए?… साफ़ दिख रहा है कि महागठबंधन के नेताओं को बिहार की जनता ने नकार दिया है।”
विपक्ष दल की यात्रा का समापन हो रहा है लेकिन अभी देखना बाकी है कि क्या INDIA गठबंधन का ये मिशन पूरा होगा या फिर इस बार खाली हाथ ही लौटना पड़ेगा।
Maratha Protest: मनोज जरांगे कौन हैं, जिसने महाराष्ट्र में फूंक दिया मराठा आरक्षण का बिगुल?