Bihar Chunav 2025: बिहार में महागठबंधन की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। लेकिन अब इस यात्रा पर एक गंभीर विवाद का साया पड़ गया है। इस यात्रा में यह दूसरी बार है जब काफिले की किसी गाड़ी ने सुरक्षा में तैनात पुलिस को टक्कर मारी है। गुरुवार को तेजस्वी यादव के काफिले की एक गाड़ी की चपेट में आने से बिहार पुलिस का एक जवान बुरी तरह घायल हो गया, जिसका पैर टूट गया। जवान के पैर में तीन फ्रैक्चर हैं। बिहार पुलिस ने इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की है, जिससे यात्रा जारी रहेगी या नहीं, इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या यह एफआईआर मतदाता अधिकार यात्रा की गाड़ी को पंक्चर कर सकती है? क्या बिहार पुलिस मतदाता अधिकार यात्रा को बीच में ही रोक देगी?
गुरुवार को ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ में तेजस्वी की गाड़ी ने एक जवान के पैर को कुचल दिया। जब गाड़ी ने उन्हें कुचला, तब राहुल गांधी उनके साथ नहीं थे। लेकिन बाद में लखीसराय पहुँचने पर वे भी तेजस्वी का समर्थन करने पहुँच गए। गाड़ी के कुचलने से एक सिपाही के पैर की हड्डी तीन जगह से टूट गई। इसके लिए ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। क्योंकि, ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसलिए, इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि बिहार पुलिस मतदाता अधिकार यात्रा को रोकेगी। लेकिन, अगर भविष्य में ऐसी घटना बार-बार होती है, तो संभव है कि बिहार पुलिस कोई सख्त कार्रवाई करे।
एफआईआर का यात्रा पर कितना असर पड़ेगा?
दो दिन पहले भी नवादा में ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की कार ने पुलिसकर्मी महेश कुमार को टक्कर मार दी थी। हादसे में महेश का पैर फ्रैक्चर हो गया था। इस मामले में घायल पुलिसकर्मी ने नवादा के नगर थाने में राहुल गांधी की कार के ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। वहीं, दूसरी घटना बिहार में मतदाता अधिकार यात्रा के दौरान गुरुवार को शेखपुरा में हुई। यहाँ तेजस्वी की कार झारखंड सशस्त्र पुलिस के सिपाही शंभू सिंह के पैर पर चढ़ गई। उनके दाहिने पैर की हड्डी तीन जगह से टूट गई। उन्हें गंभीर हालत में पटना रेफर किया गया है।
‘मतदाता अधिकार यात्रा’ रास्ते में ही पंक्चर हो जाएगी!
जानकारी के अनुसार, “मतदाता अधिकार यात्रा” के दौरान भारी भीड़ और सुरक्षा के बीच तेजस्वी यादव के काफिले की एक गाड़ी की चपेट में एक पुलिसकर्मी आ गया। यह हादसा उस समय हुआ जब काफिला तेज़ गति से आगे बढ़ रहा था और सड़क किनारे तैनात जवान ने खुद को बचाने की कोशिश की। लेकिन गाड़ी की तेज़ रफ़्तार और अव्यवस्थित भीड़ के कारण वह घायल हो गया। बाद में, बिहार पुलिस ने तेजस्वी यादव के काफिले से जुड़ी गाड़ी के खिलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की है, जिसमें लापरवाही और जान को ख़तरे में डालने जैसी धाराएँ लगाई गई हैं।
क्या कुछ बड़ा होने वाला है?
आरजेडी और कांग्रेस ने इस एफ़आईआर को राजनीतिक साज़िश बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि प्रशासन एनडीए सरकार के इशारे पर काम कर रहा है और यात्रा रोकने के लिए मनगढ़ंत आरोपों का सहारा लिया जा रहा है। तेजस्वी समर्थकों का दावा है कि इतनी भीड़ और उत्साह ने एनडीए को घबरा दिया है, और यह एफ़आईआर उसी का नतीजा है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि किसी भी घटना में सरकारी कर्मचारी के घायल होने पर मुकदमा दर्ज करना प्रोटोकॉल का हिस्सा है। एफआईआर सीधे तौर पर राजद नेता तेजस्वी यादव पर नहीं, बल्कि अन्य अज्ञात वाहन चालकों के विरुद्ध दर्ज की गई है। वहीं, सीस मामले में तेजस्वी के वाहन का ज़िक्र अपने आप में राजनीतिक दबाव का संकेत माना जा रहा है।
कांग्रेस की इस यात्रा का मुख्य चेहरा राहुल गांधी हैं और वह खुद कई चरणों में इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में इस बात पर भी चर्चाएँ तेज़ हो गई हैं कि क्या तेजस्वी के वाहन से जुड़ा यह विवाद यात्रा की नैतिक वैधता को कमज़ोर कर सकता है। फ़िलहाल यात्रा पर कोई आधिकारिक रोक नहीं है, लेकिन अगर पुलिस आगे जाँच करती है और कोई गिरफ़्तारी या समन जारी होता है, तो यात्रा की गति प्रभावित हो सकती है।

