Mahagathbandhan Seat Sharing: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन में दरार देखने को मिल रही है. हाल ये हो रखा है कि दोनों पार्टियों के बीच बात भी बंद है. असल में खबर सामने आ रही है कि बिहार कांग्रेस और राजद नेताओं के बीच बातचीत ठप हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शनिवार देर रात गठबंधन की स्थिति की समीक्षा करेंगे और फिर आगे की रणनीति तय करेंगे.
सीटों को लेकर नहीं बन रही बात
दरअसल, कई सीटो पर कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार आमने-सामने हैं, जिससे गठबंधन की नैतिकता और राजनीतिक समझ पर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस नेता सवाल उठा रहे हैं कि गठबंधन के बावजूद इस तरह के मुकाबले क्यों हो रहे हैं. अब, राजद को तय करना होगा कि वह अपने उम्मीदवार वापस ले या दोनों दलों के बीच मुकाबला जारी रखे.
महागठबंधन ने अभी तक सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा नहीं की है. इसके बावजूद, कांग्रेस, राजद और अन्य सहयोगी दलों ने कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इस स्थिति ने गठबंधन की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
एनडीए कर चुका है सीटों का एलान
इस बीच, बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने सीट बंटवारे के अपने फॉर्मूले की घोषणा कर दी है. इसके अनुसार, भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (जद(यू)) को 101-101 सीटें, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें, और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और रालोद को छह-छह सीटें आवंटित की गई हैं. एनडीए की स्पष्ट सीट-बंटवारे की व्यवस्था विपक्षी महागठबंधन की कमजोरियों को और उजागर करती है.
JMM ने भी दिया महागठबंधन को बड़ा झटका
इस बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने महागठबंधन के लिए नई चिंताएं पैदा कर दी हैं. पार्टी ने शनिवार को घोषणा की कि वह बिहार विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी और छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी चकाई, धमधा, कटोरिया (एसटी), मनिहारी (एसटी), जमुई और पीरपैंती सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
झामुमो ने 11 अक्टूबर तक विपक्षी गठबंधन को सूचित कर दिया था कि अगर उसे 14 अक्टूबर तक सम्मानजनक संख्या में सीटें नहीं मिलीं, तो वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला करेगा. झामुमो ने गठबंधन में छह के बजाय 12 सीटों की मांग की थी, लेकिन मतभेदों के कारण पार्टी अलग हो गई.
6 – 11 नवंबर को होना है मतदान
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी. कांग्रेस और राजद के बीच तालमेल की कमी और झामुमो के अलग रास्ते ने महागठबंधन के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर दी है. इसका चुनावी रणनीति, सीट बंटवारे और गठबंधन की स्थिरता पर गहरा असर पड़ सकता है, जबकि एनडीए को इसका अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है.

