Mahagathbandhan Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शुरुआती नतीजों में एनडीए बहुमत यानी 122 सीटों के आंकड़े से काफी आगे चलती दिख रही है. अगर शुरुआती नतीजे सही साबित होते हैं तो बिहार में एनडीए की सरकार ऐतिहासिक जीत हासिल कर सकती है और महागठबंधन को तगड़ा झटका देते हुए सरकार बना सकती है. हालांकि, यह बिहार है और कभी भी खेला हो सकता है और जीत का ताज किसी के भी सिर सज सकता है. लेकिन, अभी तक के नतीजों में महागठबंधन का खराब प्रदर्शन देखने को मिल रहा है.
बिहार में क्या रहे महागठबंधन के खराब प्रदर्शन के कारण?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन के खराब हाल के पीछे एक नहीं, बल्कि कई वजह हैं. जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैक्टर से लेकर तेज प्रताप और तेजस्वी यादव का मनमुटाव शामिल है.
बिहार सरकार जीविका योजना
बिहार सरकार की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना भी महागठबंधन के खराब प्रदर्शन की वजह मानी जा रही है. इस योजना में महिलाओं को स्वरोजगार के लिए सशक्त बनाने के लिए शुरुआती अनुदान में 10 हजार रुपये की मदद मिलती है. इतना ही नहीं, इसमें 2 लाख की अतिरिक्त सहायता का प्रावधान भी है.
तेज प्रताप और तेजस्वी यादव में मनमुटाव
महागठबंधन के खराब प्रदर्शन के पीछे राजद के दो बड़े चेहरों और लालू यादव के लालों के बीच मनमुटाव भी वजह मानी जा रही है. दोनों ही भाई पूरे चुनाव में एक-दूसरे से अलग-थलग रहे हैं, जिसने जनता के विश्वास को डुलाने का काम किया है.
नीतीश के साथ भाजपा, राजद के साथ कौन?
बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के साथ भाजपा और बड़े नेताओं का साथ रहा है. लेकिन, राजद के साथ कांग्रेस और वीआईपी का साथ बहुत ही कमजोर देखने को मिला है. जिससे एक समय पर महागठबंधन टूटने का अंदेशा भी होने लगा था.
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यादव उम्मीदवारों को टिकट देना
महागठबंधन के खराब प्रदर्शन में राजद का 52 सीटों पर यादव उम्मीदवारों को टिकट देने का फैसला भी शामिल है. बिहार की राजनीति में जाति का अहम रोल रहता है और चुनावों में यादवों को टिकट देने से महागठबंधन से अति पिछड़े दूर हो गए थे.
महागठबंधन के कमजोर वादे
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के खराब प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह कमजोर वादे रहे हैं. तेजस्वी ने हर घर से एक सरकारी नौकरी, पेंशन, महिला सशक्तिकरण और शराबबंदी जैसी बातें तो की लेकिन, यह सब होगा कैसे इसपर कोई ठोस जमीन जनता को नहीं दिख पाई.
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